समर्थन मूल्य से कम दाम पर सोयाबीन बिकने से अन्नदाताओं में आक्रोश
26 अगस्त 2024, (विशेष प्रतिनिधि) इंदौर: समर्थन मूल्य से कम दाम पर सोयाबीन बिकने से अन्नदाताओं में आक्रोश – सोयाबीन उत्पादक निमाड़ – मालवा क्षेत्र में इन दिनों सोयाबीन का समर्थन मूल्य से कम दाम पर बिकने का मुद्दा गरमाया हुआ है। इस संबंध में कृषक जगत ने सोयाबीन उत्पादक कुछ किसानों से चर्चा की, जिसमें यह सार निकला कि सोयाबीन के समर्थन मूल्य से भी नीचे दाम पर बिकने और लगातार बढ़ती लागत से सोयाबीन की खेती करना घाटे का सौदा होता जा रहा है। किसानों को एक दशक पुराना दाम मिल रहा है। आमदनी दुगुनी होना तो दूर लागत भी नहीं निकल पा रही है। यदि यही हाल रहा तो किसान भविष्य में सोयाबीन बोना ही बंद कर देंगे। अधिकांश किसानों ने सोयाबीन का न्यूनतम मूल्य 6 हज़ार प्रति क्विंटल रखने की बात कही । एक ओर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सोयाबीन के दाम दिलाने की मांग की है ,वहीं दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन द्वारा सोयाबीन के न्यूनतम दाम को लेकर प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन के तहत आगामी 1 -7 सितंबर तक प्रत्येक पंचायत में पंचायत सचिव को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
किसानों की ज़ुबानी – ग्राम नांद्रा ( देपालपुर ) के श्री रामचंद्र तंवर ने करीब 45 बीघा में सोयाबीन लगाई है। फसल भी अच्छी है , लेकिन सोयाबीन समर्थन मूल्य से कम पर बिकने से चिंतित हैं। फसल कट कर जब घर आएगी तब क्या मूल्य रहेगा, यह तब तय होगा। इनका कहना था कि सोयाबीन की खेती में लागत खर्च बहुत बढ़ गया है। कीटनाशक भी महंगे हो गए हैं। मजदूरी 600 – 700 रु रोज हो गई है। 15 -15 दिन में स्प्रे करना पड़ते हैं। वहीं रतनखेड़ी के श्री श्रीराम सोनगरा ने 35 बीघा में सोयाबीन किस्म 3511 लगाई है। फसल अच्छी है , लेकिन फसल तैयार होने तक क्या स्थिति रहेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। आज तो सोयाबीन समर्थन मूल्य से भी कम 3800 -4100 रु /क्विंटल पर बिक रही है। किसानों की लागत ही नहीं निकल रही है। खाद, दवाई , मजदूरी सब महंगे हो गए हैं। किसान की आय दुगुनी होने के बजाय आधी हो गई है। सरकार को इसके बिक्री मूल्य पर ध्यान देना चाहिए , ताकि किसान को भी कुछ लाभ हो सके। बड़ोदापंथ के श्री चंदन सिंह बड़वाया ने बताया कि फिलहाल सोयाबीन समर्थन मूल्य से नीचे 3600 – 3800 रु / क्विंटल बिक रही है। जबकि समर्थन मूल्य 4892 रु है। व्यापारियों की मनमानी जारी है।कोई ध्यान देने वाला नहीं है। खाद, कीटनाशक ,डीज़ल आदि के दाम बढ़ने से लागत बढ़ती जा रही है। कुछ 1 -2 % सक्षम किसानों ने ही गत वर्ष की सोयाबीन को रोक रखा है, अन्यथा सामान्य किसानों को तो अपनी देनदारियों का भुगतान करने के लिए फसल को तुरंत मौजूदा भाव में बेचने की मजबूरी रहती है।
बलवाड़ा जिला खरगोन के किसान श्री देवीलाल यादव ने कहा कि लगातार लागत बढ़ने से सोयाबीन की खेती करना मुश्किल होता जा रहा है। उन्होंने इस विरोधाभास की ओर ध्यान आकृष्ट कराया कि एक तरफ दवाई , खाद , मजदूरी महंगी होने से लागत बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर प्रति वर्ष सोयाबीन का उत्पादन भी कम होता जा रहा है। ऐसे में सोयाबीन का समर्थन मूल्य से कम पर बिकना चिंताजनक है। किसानों को सोयाबीन का दाम कम से कम 6 हज़ार रु / क्विंटल मिलना ही चाहिए। ग्राम छोटी खरगोन के श्री अखिलेश सेप्टा ने 20 बीघा में सोयाबीन लगाई है। फसल भी अच्छी है, लेकिन वे सोयाबीन के वर्तमान भावों से चिंतित हैं। उनका कहना था कि अभी ऑफ सीजन में जब सोयाबीन का भाव 3800 – 4000 / क्विंटल है तो,जब बड़ी मात्रा में सोयाबीन की उपज मंडी पहुंचेगी, तो आपूर्ति बढ़ने से दाम और कम हो जाएंगे। इसीलिए वैकल्पिक खेती में टमाटर , बैंगन और गिलकी भी लगाई है , ताकि हाथ में कुछ नकद राशि आ सके। किसानों को सोयाबीन का न्यूनतम 6500 रु का भाव मिलना चाहिए। ग्राम कोठा बुजुर्ग के श्री अशोक कुमरावत ने साढ़े चार एकड़ में सोयाबीन लगाई है। उन्होंने बताया कि अभी खरगोन मंडी में सोयाबीन 3800 – 4100 रु / क्विंटल बिक रहा है। व्यापारियों की मनमानी चल रही है। कोई देखने/ सुनने वाला नहीं है। किसान अभी मौन हैं। लेकिन सरकार, जन प्रतिनिधि और संबंधित अधिकारियों के प्रति अंदर से बहुत आक्रोशित है। धार जिले के ग्राम निगरनी (मनावर ) के किसान श्री कमल चोयल ने भी 7 बीघा में सोयाबीन लगाई है। उन्होंने समर्थन मूल्य से कम पर सोयाबीन बिकने पर तुलनात्मक आकलन करते हुए बताया कि जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी तब सोयाबीन 4500 -4700 रु /क्विंटल थी और सोयाबीन तेल का भाव 80 -90 रु /लीटर था। आज सोयाबीन तेल 120 -130 रु /लीटर है , लेकिन सोयाबीन का भाव 4 हज़ार के अंदर है । उद्योगों के लिए 1 हज़ार रु /क्विंटल के दाम बढ़ गए हैं ,लेकिन किसान के लिए दाम नहीं बढ़ रहे है। इसी कारण किसानों की आय नहीं बढ़ रही है। किसानों को सोयाबीन का न्यूनतम भाव 6500 रु / क्विंटल मिलना ही चाहिए,अन्यथा किसान को लाभ नहीं होगा।
किसान संगठनों के विचार – किसान संघर्ष समिति ( मालवा -निमाड़ ) के अध्यक्ष श्री रामस्वरूप मंत्री और भारतीय किसान , मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष श्री बबलू जाधव का कहना था कि सरकार की गलत नीति के कारण किसानों को सोयाबीन के भाव नहीं मिल रहे हैं । फिलहाल मंडियों में जिस भाव में सोयाबीन बिक रहा है वह समर्थन मूल्य से 1000 से 1200 रु नीचे है, जो लागत से भी कम है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार सोयाबीन की उत्पादन लागत 3261 रुपये प्रति क्विंटल है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि वह किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार C-2+50% के अनुसार फसल के दाम दिलाएगी। सी टू प्लस 50% का मतलब है, फसल में लगने वाला खाद, बीज, सिंचाई ,मेहनत, पूंजी का ब्याज,मजदूरी आदि को जोड़कर उस का डेढ़ गुना । यदि यह सब जोड़ा जाए तो सोयाबीन के भाव 8000 से भी ऊपर होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में आधी कीमत मिल रही है जो किसानों के आक्रोश बढ़ा रही है। सरकार को लागत से कम में बिक रहे सोयाबीन को अपने घोषणा पत्र के वादे के अनुसार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक बिकने की व्यवस्था करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो मध्य प्रदेश में किसान फिर बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
भारतीय किसान यूनियन के इंदौर जिलाध्यक्ष श्री कमल यादव ने कृषक जगत को बताया कि मप्र में किसानों से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी नहीं की जा रही है। मंडी में किसानों से फिलहाल 3500 – 3600 रु /क्विंटल की दर से सोयाबीन खरीदी जा रही है ,जिससे किसान परेशान हैं। इसी मुद्दे को लेकर भारतीय किसान यूनियन द्वारा मध्य प्रदेश में आगामी 1 – 7 सितंबर तक प्रत्येक पंचायत में सोयाबीन का दाम 6500 – 8000 रु / क्विंटल करने की मांग को लेकर पंचायत सचिव को ज्ञापन दिया जाएगा।
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