State News (राज्य कृषि समाचार)

नकली खाद पर नकेल

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कृषि मंत्री के निर्देश पर कृषि विभाग की बड़ी कार्रवाई

3 उर्वरक कंपनियों पर केस दर्ज, 5 ब्लैक लिस्ट में

(विशेष प्रतिनिधि)भोपाल। प्रदेश में नकली खाद-बीज एवं कीटनाशकों के धड़ल्ले से फल-फूल रहे व्यापार पर कृषि विभाग ने नकेल कस दी है। विभाग ने कृषि मंत्री श्री सचिन यादव के निर्देश पर कड़ा रूख अपनाते हुए नमूने अमानक पाए जाने पर 3 उर्वरक कंपनियों के प्रमुखों पर केस दर्ज कर 5 अन्य कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। कृषि मंत्री ने निर्देश दिए है कि प्रदेश में अमानक खाद-बीज एवं कीटनाशक बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें तथा नियमित रूप से सेम्पल लेकर जांच कराएं जिससे किसानों को गुणवत्तायुक्त आदान सामग्री मिल सके।

जानकारी के मुताबिक अमानक उर्वरक  पाये जाने पर कृषि विभाग ने हाल ही में एडवांस क्रॉप केयर के एमडी आशीष तिवारी, धनलक्ष्मी बॉयो केन अहमदाबाद के एमडी मुकेश जटानिया और आर.एम. फास्फेट एण्ड केमिकल महाराष्ट्र के मार्केटिंग मैनेजर मुकुंद धजेकर पर केस दर्ज कराया है।

1 अप्रैल से 30 सितम्बर 2019 तक की स्थिति
  • 5619 नमूनों की जांच
  • 5220 नमूने मानक
  • 399  नमूने अमानक

इसके पूर्व विभाग ने मेघनगर की 5 फर्टिलाइजर कम्पनियों को ब्लैक लिस्टेड किया है। इनमें बालाजी एग्रो ऑर्गेनिक्स एण्ड फर्टिलाइजर्स, मोनी मिनरल्स एण्ड ग्राइंडर्स, रायल एग्रीटेक, त्र्यम्केश्वर एग्रो इंडस्ट्रीज और एग्रोफॉस इंडिया लिमिटेड में कई अनियमिताएं पायी गयी थी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एक अप्रैल से 30 सितम्बर 2019 तक 5751 नमूने प्रयोगशाला में भेजे गये जिनमें 5619 नमूनों की जांच हुई। इनमें से 5220 नमूने मानक तथा 399 नमूने अमानक पाए गए हैं। इन अमानक नमूनों का विक्रय प्रतिबंधित कर कार्यवाही की जा रही है।  ज्ञातव्य है कि केस दर्ज करने वाले मामले में हरदा के टिमरनी की विभिन्न सहकारी समिति में दिसंबर 2018 में 170 किसानों को 284 टन खाद बेची गई थी। इसके बाद जांच सैंपल आने पर अमानक खाद की पुष्टि हुई थी। इससे किसानों की पैदावार पर असर पड़ा था। हरदा के सहायक संचालक ने 29 अक्टूबर को 3 दोषी कंपनी और प्रमुख के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3, 7 में केस दर्ज करवाया है। ये अमानक खाद गोदागांव कलां, तजपुरा, छिदलगांवमेल, मनियाखेड़ी सहकारी समितियों में सप्लाई की गई थी। इनके सैंपल वर्ष 2018 में जबलपुर और उज्जैन लैब भेजे थे। एक महीने बाद अमानक उर्वरक की रिपोर्ट आने के बाद मामले को दबा लिया था। अब करीब 8 महीने बाद एफआईआर की कार्रवाई हुई है। एडवांस क्रॉपकेयर कंपनी को 5 साल पहले भी अमानक नमूने मिलने पर दोषी पाया था।

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