सरसों की खेती करने वाले किसानों को दी विशेषज्ञों ने यह खास सलाह
29 सितम्बर 2025, भोपाल: सरसों की खेती करने वाले किसानों को दी विशेषज्ञों ने यह खास सलाह – सरसों की खेती करने वाले किसानों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों ने खास सलाह दी है और यह कहा है कि बुवाई शुरू करें लेकिन सही किस्म भी चुनना जरूरी है ताकि पैदावार बंपर हो सके।
रबी सीजन में सरसों सिंचित और असिंचित दोनों इलाकों में उगाई जाती है। पूरे भारत में इसकी खेती होती है, लेकिन गुणवत्ता ही इसे अलग बनाती है। तेल में एरोसिक एसिड की ज्यादा मात्रा हृदय रोगों का खतरा बढ़ाती है, जबकि खली में ग्लूकोसिनोलेट्स की वजह से पोल्ट्री में घेंघा रोग हो सकता है। संस्थान ने इसी समस्या का समाधान निकाला है कम एरोसिक (2% से कम) वाली नौ प्रजातियां विकसित की हैं।
अगेती बुवाई से फसल मजबूत होती है और बाजार में ऊंची कीमत मिलती है। 10 से 30 अक्टूबर के बीच बुवाई करें, ताकि फसल शरद की ठंड में फले-फूले। बीज भरोसेमंद स्रोत से लें, वरना नुकसान हो सकता है। IARI की पहली कम एरोसिक प्रजाति है पूसा करिश्मा इसमें एरोसिक एसिड 2% से कम, जो खाने के लिए बिल्कुल सुरक्षित है। इसके बाद आईं पूसा सरसों 21, 22, 24 और 29 ये लंबे कद की हैं, पकने में ज्यादा समय लेती हैं, लेकिन पैदावार अच्छी है। नई किस्म पूसा सरसों 30: मोटे दाने, समय पर पकने वाली, पैदावार 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। पिछले साल लॉन्च हुई पूसा सरसों 32 140-145 दिनों में तैयार हो जताई और 32-35 क्विंटल उपज देती है।
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