राज्य कृषि समाचार (State News)

आने वाले 3 वर्ष में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार 100 लाख हेक्टेयर तक करें: सीएम डॉक्टर यादव

26 अगस्त 2025, भोपाल: आने वाले 3 वर्ष में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार 100 लाख हेक्टेयर तक करें: सीएम डॉक्टर यादव –  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि किसानों की समृद्धि के साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सिंचाई क्षेत्र का निरंतर विस्तार आवश्यक है। इसके लिए जल संसाधन विभाग और सभी संबंधित एजेंसियां तेजी से कार्य करें। वर्तमान में शासकीय स्रोतों से प्रदेश में सिंचाई प्रतिशत 52 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। इसे शीघ्र ही दोगुना करने का लक्ष्य ध्यान में रखकर कार्य किया जाए जिससे आने वाले 3 वर्ष में प्रदेश में 100 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार हो जाए।

 मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि के साथ ही उद्योग क्षेत्र में पानी देने, पेयजल प्रबंध और ऊर्जा उत्पादन में जल का उपयोग जल संसाधन विभाग के स्रोतों से हो रहा है। सिंचाई के 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लक्ष्य के अनुसार जल संसाधनों के समुचित उपयोग को पूरी प्राथमिकता दी जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान विभिन्न परियोजनाओं से बढ़ रहे सिंचाई क्षेत्र की जानकारी भी प्राप्त की।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अंतर्राज्यीय नदी जोड़ो परियोजनाओं जैसे केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना, संशोधित पार्वती-कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना को अति उपयोगी बताते हुए कहा कि इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश के लगभग आधे जिलों की तस्वीर बदल जाएगी। राज्य के अंदर भी नदी जोड़ो परियोजनाओं के क्रियान्वयन की दिशा में कार्य प्रारंभ कर लाभ प्राप्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नदियों को जोड़ने का स्वप्न भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल ने देखा जिसे प्रधानमंत्री श्री मोदी साकार कर हैं। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा ऐसी परियोजनाओं के लिए 90% राशि देने का लाभकारी प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की मंशा के अनुसार राज्यों की ऐसी पहल को प्रोत्साहित किया जा रहा है। नदी जोड़ो परियोजनाओं के कार्य जैसे-जैसे क्रियान्वित होंगे, सिंचित क्षेत्र बढ़ेगा, साथ ही खुशहाली भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल संसाधन विभाग की ओर से राज्य के अंदर नदी जोड़ो प्रकल्पों की संभावनाओं का सर्वेक्षण और अध्ययन कर प्रतिवेदन तैयार किया जाए। केन्द्र सरकार को ऐसे प्रस्ताव भेजकर स्वीकृति प्राप्त की जाएगी।

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