बॉयो ईंधन से भोजन बनाने का अनुकरणीय प्रयास
- (राजीव कुशवाह,नागझिरी)
29 नवंबर 2021, बॉयो ईंधन से भोजन बनाने का अनुकरणीय प्रयास – नागझिरी से दो किमी दूर स्थित ग्राम बलगांव ने तीन दशक पूर्व ही बॉयो ईंधन को अपना लिया गया था। गांव के अधिकांश कृषकों ने पशुओं के गोबर से बॉयो गैस तैयार करने के लिए बॉयो गैस संयंत्र लगा लिए थे। इस अनुकरणीय प्रयास को अपनाने वाले किसानों को दोहरा लाभ हो रहा है। शुद्ध भोजन के अलावा संयंत्र से निकला तरल गोबर खाद खेत में फसलोत्पादन में सहायक बन ‘आम के आम, गुठली के दाम’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है।
श्री किशोर और श्री महेश कुशवाह ने कृषक जगत को बताया कि 30 वर्ष पूर्व मात्र 5 हज़ार में बॉयो गैस का संयंत्र स्थापित हो गया था। अब तो इसकी राशि बहुत बढ़ गई है। श्री केशर सिंह ने कहा कि पहले इसी गैस से घरों में रोशनी की जाती थी। अब तो बिजली की मांग बढ़ गई है, इसलिए मजबूरन बिजली विभाग को मोटी रकम चुकाना पड़ रही है। श्री मनीष, श्री विजय, श्री गजेंद्र और श्री नीरज आदि ने कहा कि पशुओं के गोबर से निर्मित बॉयोगैस का उपयोग भोजन बनाने और अन्य कार्य के लिए होता है, जबकि इससे निकला तरल गोबर खाद खेत को 5 गुना अधिक उपजाऊ बना रहा है। श्री मुकुंद परिहार, श्री मनोहर सिंह, श्री छगन और श्री सोमनाथ जैसे कई लोग हैं, जिन्होंने इसे अपनाने में रूचि ली है।
बता दें कि इस गांव की आबादी करीब दो हज़ार है और यहां 150 घर हैं, जिनमें से 80 घरों में बॉयो गैस संयंत्र स्थापित हैं। इसमें अजा/अजजा वर्ग के लोग भी शामिल हैं। वर्तमान में रसायनिक खाद के लिए जारी किसानों की जद्दोज़हद को देखते हुए यहां के लोगों का यह दूरगामी फैसला कई दृष्टि से लाभप्रद रहा है। वहीं धनुबाई और सावित्री बाई ने बताया कि 5 सदस्यीय परिवार के लिए 5 गायों का गोबर और सीमित परिवार के लिए 2 भैंस का गोबर पर्याप्त है। इससे प्रति वर्ष एक परिवार 25 से 40 हज़ार रुपए की बचत कर रहा है। घरेलू एलपीजी गैस के निरंतर बढ़ते दामों को देखते हुए अन्य किसानों को भी इस गांव से प्रेरणा लेनी चाहिए।
श्री एके मीणा ,संयुक्त संचालक कृषि , इंदौर ने बलगांव में बॉयो ईंधन अपनाने को निमाड़ अंचल की उपलब्धि बताते हुए कृषक जगत से कहा कि जैविक उत्पाद और बॉयो गैस से किसान आत्म निर्भर बनेंगे। ऐसे स्वावलम्बी किसानों को अनुदान एवं प्रोत्साहन राशि देने का मामला प्रस्तावित है।