मध्यप्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण का उभरता केंद्र
21 अप्रैल 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण का उभरता केंद्र – मध्यप्रदेश ने उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में तेजी से अपनी पहचान बनाई है। प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन और रकबा लगातार बढ़ रहा है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है। हाल ही में भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उद्यानिकी क्षेत्र के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जो इस क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को दर्शाता है।
उद्यानिकी में अभूतपूर्व वृद्धि
पिछले पांच वर्षों में उद्यानिकी फसलों का रकबा 21.75 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 26.91 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो 23.72% की वृद्धि दर्शाता है। पिछले दो दशकों में फल, सब्जी, मसाले, पुष्प और औषधीय फसलों का रकबा 4.67 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 27.71 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि उत्पादन 35.40 लाख मीट्रिक टन से 417.89 लाख मीट्रिक टन तक पहुंचा। मध्यप्रदेश की जलवायु और बेहतर सिंचाई सुविधाएं इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। प्रदेश में उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता 15.02 टन प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत 12.19 टन प्रति हेक्टेयर से 23.21% अधिक है।
प्रदेश सरकार ने सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी लिंक परियोजना शामिल हैं। इसके अलावा, सूक्ष्म सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को प्रोत्साहित करने हेतु 22,167 किसानों को 130 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में उद्यानिकी रकबे को 33.91 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का है।
उद्यानिकी विभाग ने जिला स्तर की 40 नर्सरियों को हाईटेक बनाया है और पौधों के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है। मुरैना, छिंदवाड़ा और हरदा में इजराइली तकनीक से तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश संतरा, मसाले, लहसुन, अदरक और धनिया के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है, जबकि मटर, प्याज, मिर्च और अदरक में दूसरे और फूल, औषधीय पौधों में तीसरे स्थान पर है।
खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी प्रदेश ने प्रगति की है। 2014 की नीति के तहत 25 करोड़ तक की परियोजनाओं के लिए 2.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। 2018 से 2024-25 तक 242 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित हुईं, जिनके लिए 85 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना के तहत 2021-22 से 2024-25 तक 11,597 इकाइयां स्थापित हुईं।
प्रदेश की कुछ फसलों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग के प्रयास जारी हैं। रीवा का सुंदरजा आम और रतलाम का रियावन लहसुन पहले ही जीआई टैग प्राप्त कर चुके हैं, जबकि 15 अन्य फसलों के लिए आवेदन प्रक्रिया में हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन और प्रसंस्करण के साथ-साथ बाजार तक पहुंच, गुणवत्ता नियंत्रण और किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करना भी जरूरी है। जुलाई 2024 में आयोजित क्रेता-विक्रेता सम्मेलन जैसे प्रयास इस दिशा में कदम हैं। मध्यप्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन इनका लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए और ठोस प्रयासों की जरूरत है।
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