राज्य कृषि समाचार (State News)

दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ

13 फ़रवरी 2025, भोपाल: दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ – दाल रोटी खाओ और प्रभु के गुण गाओ…! जी हां यह लोकोक्ति मौजूदा समय में एक बार फिर चरितार्थ हो रही है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से न केवल भोजन की थाली में दालें शामिल करने से गुरेज नहीं किया जा रहा है वहीं दालों का उत्पादन भी अच्छा हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दालों के महत्व को देखते हुए इसके उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिये अभियान चला रखा है। ‘दाल रोटी खाओ-प्रभु के गुण गाओ’ लोकोक्ति से स्पष्ट है कि दालें सम्पूर्ण भोजन के रूप में हमारी जीवन संस्कृति एवं समृद्ध खानपान में शामिल रही हैं। इतना ही नहीं, देश के अलग-अलग भू-भागों में दालों की विभिन्नताओं के साथ-साथ उनके उपयोग की भी विशिष्ट प्रकृति रही है। जबकि भारतीय खेती की बदहाली की एक बड़ी वजह एकांगी कृषि विकास नीतियां रही हैं। वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकारों ने गेहूं, धान, गन्ना, कपास जैसी चुनिंदा फसलों के अलावा दूसरी फसलों पर ध्यान ही नहीं दिया। इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव दलहनी व तिलहनी फसलों पर पड़ा। घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी न होने का नतीजा यह हुआ कि दालों व खाद्य तेल का आयात तेजी से बढ़ा। दाले भारतीय भोजन की थाली का सौन्दर्य एवं स्वाद रही है।  भारत विश्व भर में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (वैश्विक खपत का 27%) और आयातक (14%) है। खाद्यान्न के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में दालों की हिस्सेदारी लगभग 20% है और देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7-10% है। हालाँकि दालें ख़रीफ और रबी दोनों सीज़न में उगाई जाती हैं, दालों के कुल उत्पादन में रबी सीज़न में उत्पादित दालों का योगदान 60% से अधिक है। शीर्ष पाँच दाल उत्पादक राज्य हैं- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक।

Advertisement
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement