राज्य कृषि समाचार (State News)

मूंग, बाजरा और तिल में रोगों का प्रकोप, कृषि विभाग की सर्वे टीम ने किया निरीक्षण; किसानों को दी सलाह

13 सितम्बर 2025, भोपाल: मूंग, बाजरा और तिल में रोगों का प्रकोप, कृषि विभाग की सर्वे टीम ने किया निरीक्षण; किसानों को दी सलाह – राजस्थान कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक के निर्देश पर बुधवार को कृषि विभाग की सर्वे टीम ने पंचायत समिति जालोर के धवला, लेटा, कानीवाड़ा, ऊण, सांकरणा, भैंसवाड़ा और बागरा गांव, सायला तहसील के रेवतड़ा और केशवना गांव तथा आहोर क्षेत्र के गोदान गांव में खरीफ फसलों का कीट-व्याधि (रैपिड रोविंग) सर्वे किया।

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इस सर्वे कार्य का नेतृत्व उप निदेशक कृषि (सामान्य) डॉ. खुमान सिंह रूपावत ने किया। उनके साथ सहायक निदेशक सुभाष चंद्र, कृषि अधिकारी जया श्रीमाली और कृषि अनुसंधान केंद्र केशवना से सहायक आचार्य (पादप रोग विशेषज्ञ) डॉ. रतन लाल शर्मा शामिल थे।

फसलों में मिले रोग और कीटों के लक्षण

सर्वे टीम को मूंग की फसल में कई जगहों पर सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का प्रकोप दिखाई दिया। वहीं बाजरे की फसल में स्मट और एरगट रोग के लक्षण मिले, साथ ही फड़के और सेफर बीटल कीड़े भी देखे गए, लेकिन इनकी संख्या आर्थिक नुकसान स्तर (ETL) से कम पाई गई। तिल की फसल में फाइलोडी रोग नगण्य रूप में मिला जबकि पाउडरी मिल्ड्यू का असर देखा गया। खुशखबरी यह रही कि अरंडी की फसल में किसी भी प्रकार का कीट या रोग नहीं मिला।

किसानों को दिए बचाव के सुझाव

सर्वे टीम ने किसानों को सलाह दी कि वे खेतों की साफ-सफाई बनाए रखें और पौधों के बीच उचित दूरी रखें। रोग या कीट के लक्षण दिखें तो अनुशंसा अनुसार कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

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बाजरे की फसल में ब्लास्ट रोग की रोकथाम के लिए प्रॉपिकोनाजोल का पत्तियों पर छिड़काव करें। एरगट रोग से बचाव हेतु सिटे निकलते समय मेंकोजेब का हर 3 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करने की सलाह दी गई। सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करने को कहा गया।

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किसानों को नियमित रूप से सहायक कृषि अधिकारी और कृषि पर्यवेक्षक से संपर्क में रहने की भी सलाह दी गई, ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।

कई किसानों ने लिया भाग

सर्वे के दौरान गांवों के कई किसान भी उपस्थित रहे, जिनमें श्रीमती दुर्गा देवी माली (लेटा), अतराम मीणा (सांकरणा), कमियां राम रेबारी (सांकरणा), मीठाराम माली (उम्मेदाबाद), पकाराम मेघवाल (उम्मेदाबाद), हती पुरी (रेवतड़ा), आशापूर्णा कृषि फार्म (बागरा गांव), देशाराम सुथार (बागरा गांव) आदि शामिल थे।

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