राज्य कृषि समाचार (State News)

हमारी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को अपना रहे हैं विकसित देश

06 जनवरी 2025, भोपाल: हमारी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को अपना रहे हैं विकसित देश – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु ही होता है। गुरु अपने विद्यार्थी में निहित अनंत संभावनाओं को पहचान कर इसका चारित्रिक एवं शैक्षणिक विकास करते हैं। हमारी पुरातन गुरुकुल परम्परा आज भी प्रासंगिक है। आज कई विकसित देश हमारी पुरानी गुरुकुल परम्परा को अपनाकर अपने बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।

हमें भी पुन: उसी गुरुकुल परम्परा से जुड़ना होगा, तभी हमारा देश फिर से विश्व गुरु बन सकेगा। हम प्रदेश में क्लास के अंदर और क्लास के बाहर भी विद्यार्थियों को जीवन एवं नैतिक मूल्य तथा व्यावहारिक शिक्षा देकर उनके समग्र विकास की ओर बढ़ रहे हैं। मजबूत इरादों और शैक्षणिक गुणवत्ता में आमूल-चूल सुधार लाकर हम प्रदेश को शिक्षा के मामले में देश का एक मॉडल एजुकेशन स्टेट बनायेंगे। इसमें शिक्षकों की बड़ी अहम भूमिका है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव  कलेक्टर कार्यालय, उज्जैन के एनआईसी से वर्चुअली जुड़कर स्टार्स प्रोजेक्ट के तहत अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक भ्रमण के लिए सिंगापुर जाने वाले चयनित शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक हमारे लिए सदैव पूजनीय हैं, हम विकसित भारत और विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण में उनकी अनंत क्षमताओं और सुदीर्घ अनुभवों का प्रदेश के शैक्षणिक विकास एवं विस्तार में अधिकतम सदुपयोग करेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शैक्षणिक परिदृश्य में हमारा इतिहास समृद्ध रहा है। नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला विश्वविद्यालयों एवं उज्जैन के सांदीपनि आश्रम सहित अन्य विश्वविख्यात शैक्षणिक संस्थाओं ने तत्कालीन समय में उच्च कोटि की शिक्षा देकर राष्ट्र को उपकृत किया। तत्समय गुरुओं में अपने विद्यार्थियों के कला-कौशल को पहचानने की। एक दृष्टि होती थी, यही कारण था कि भगवान श्रीराम-लक्ष्मण और श्रीकृष्ण ने भी अपने गुरुओं से ही शिक्षा-दीक्षा ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आज के शिक्षकों में भी गुरु की वही दृष्टि विकसित करना चाहते हैं। सिंगापुर भ्रमण के लिए चयनित शिक्षक इस अवसर को भलीभांति समझें, पढ़ाने की नई-नई तकनीक सीखें और लौटकर प्रदेश के विद्यार्थियों को उन तकनीकों का लाभ दिलाएं, जिससे वे अपने शैक्षणिक एवं चारित्रिक प्रदर्शन में अव्वल आएं। उन्होंने कहा कि चयनित शिक्षक विदेशी अध्ययन कराने की अच्छाइयों को सीखे, साथ ही अपने देश की अच्छाइयों को भी विश्व में बांटे, ताकि विविध शैक्षणिक संस्कृतियों एवं नवाचारों का आदान-प्रदान हो सके।

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