अन्य राज्य से दाल बनाने के लिए मंगाए दलहन पर मंडी शुल्क से छूट देने की मांग
06 सितम्बर 2023, इंदौर: अन्य राज्य से दाल बनाने के लिए मंगाए दलहन पर मंडी शुल्क से छूट देने की मांग – ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने मध्यप्रदेश सकल अनाज, दलहन-तिलहन महासंघ के आह्वान पर कृषि उपज मंडी समिति की विभिन्न विसंगतियों को दूर करने और मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क कम करने की मांग को लेकर की जा रही हड़ताल का समर्थन करते हुए राज्य सरकार से म.प्र. में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर अतिशीघ्र मंडी शुल्क से छूट देने एवं मध्य प्रदेश में उत्पादित कृषि उपज पर मंडी शुल्क की दर 0.50 पैसे करने की भी मांग की है। संस्था के अध्यक्ष श्री सुरेश अग्रवाल ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि मध्यप्रदेश में प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व वर्षों में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन – तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, चना, मटर आदि पर मंडी शुल्क से छूट दी जाती रही है, किन्तु सरकार ने केवल तुअर पर ही मंडी शुल्क से छूट प्रदान की है, जो न्याय संगत नहीं है। सरकार द्वारा अंतिम बार 01 अगस्त 2018 से 31 जुलाई 2019 तक छूट प्रदान की थी। 01 अगस्त 2019 से राज्य के बाहर से मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लगने के कारण पिछले 3½ वर्ष मे मध्यप्रदेश मे दाल उद्योगो की हालत एकदम दयनीय हो गई है ।
सरकार की वादाखिलाफी – मध्य प्रदेश सरकार के कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री कमल पटेल ने 25 अप्रैल 2022 को ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की मीटिंग मे यह घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश के कृषि आधारित दाल उद्योगों के हित में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाए जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से छूट स्थाई रूप से प्रदान की जाएगी, किन्तु आज तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसी प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 15 दिसंबर 2022 को संस्था के प्रतिनिधि मण्डल से मुलाकात के दौरान मंडी शुल्क से छूट दिए जाने का अनुरोध किया था, तब भी मुख्यमंत्री ने अतिशीघ्र मंडी शुल्क से छूट देने का आश्वासन दिया था। 17 दिसंबर 2022 को मुख्यमंत्री से पुनः मुलाकात कर मंडी शुल्क से छूट देने का अनुरोध किया था ,लेकिन कुछ नहीं हुआ। श्री अग्रवाल ने कहा कि एक ओर राज्य सरकार मध्यप्रदेश में ग्लोबल समिट जैसे आयोजन कर देश -विदेश के कारोबारियों को मध्यप्रदेश में उद्योग-धंधे स्थापित करने हेतु आमंत्रित कर, उन्हें हर प्रकार की सुविधा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के परंपरागत कृषि आधारित दाल उद्योगों की अनदेखी कर उन्हें प्रदेश में बंद करने एवं पलायन करने की ओर अग्रसर कर रही है | गत 4 वर्ष में प्रदेश में दाल इंडस्ट्रीज़ का उत्पादन 40% तक घट गया है, कुछ दाल इंडस्ट्रीज़ बंद होने की कगार पर है, तो कुछ अन्य प्रदेशों में पलायन के लिए मजबूर हैं। बता दें कि महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बाहर से (अन्य राज्यों से) कृषि उपज दलहन – तुअर, उड़द, मूंग, मटर, मसूर व चना आदि खरीदकर दाल बनाने पर मण्डी – शुल्क नहीं लगता है। म.प्र. में मण्डी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों से म.प्र. में आकर दालें बिक रहीं हैं, क्योंकि वहां मंडी शुल्क कम है। मप्र. की दाल इंडस्ट्री की दालें मंडी शुल्क के कारण महंगी होने से दालों की बिक्री कम हो रही है तथा प्रदेश की दाल मिलों का उत्पादन धीरे धीरे कम हो रहा है,अतः मध्य प्रदेश में दाल उद्योगों को बचाने के लिए अति शीघ्र मंडी शुल्क से छूट देने की आवश्यकता है । श्री अग्रवाल ने म.प्र. के बाहर से आने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लगने के कारण प्रदेश के दाल उद्योगों पर होने वाले विपरीत प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला ।
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