घटती लागत बढ़ता मुनाफा
खेती को लाभकारी धंधा बनाने के लिये कृषि से संबंधित हर वर्ग चौकन्ना एवं प्रयासरत है। क्योंकि सभी इस बात को मानते हैं कि जब तक खेती की लागत में कमी नहीं आती तब तक लाभ की कल्पना करना बेमानी होगी। चार दशक पहले से चले आ रहे इस मंत्र की दुहाई तो सुनी जाती रही कि खेती में सस्ती तकनीकी का अंगीकरण दर बढ़ाई जाये परंतु वास्तविकता में यदि आंकड़े देखें जाये तो आज भी इसका अंगीकरण अपेक्षा से कहीं दूर है खरीफ रबी का आईना होता है। कहावत है कि यदि किसी कार्य की शुरूआत अच्छी हो तो अंत भी अच्छा होता है। अतएव यदि खरीफ फसलों की खेत की तैयारी में कोई कोताही नहीं की गई हो तो उसका लाभ रबी और जायद तक मिलेगा। सस्ती कृषि तकनीकी खेत की तैयारी एक अहम मुद्दा है गहरी जुताई के बाद सतत बखर करके खेत को समतल बनाया जाये तो आने वाली बरसात का पानी भूमि में ही समा जायेगा बहाव के साथ मिट्टïी नहीं बहेगी जो अनमोल होती है। कहा जाता है कि खेत में ऊपरी सतह की भूमि सालों में बनजाती है। जिसे बहने से रोकना जरूरी है। सोयाबीन खरीफ की मुख्य फसल है जो 50-56 लाख हेक्टर में बोई जाना हैे के अच्छे अंकुरण के लिये स्वस्थ्य सुडोल बीज तथा उसका उपचार आवश्यक होगा। बुआई गहराई पर ना की जाये तथा हर अ_ïारहवीं कतार कोरी बिना बोई रखी जाये ताकि इसका उपयोग वर्षा का अतिरिक्त जल का निथार नाली बनाकर किया जा सके यह कार्य गहरी काली मिट्टी के खेत में अनिवार्य माना जाये कोई अलग से खर्च नहीं है इसमें अंकुरण उपरांत दो कोपल (पोपटे) की रक्षा पक्षियों से करके देखे फिर जब हंसिया लगेगा दावन होगी तुलाई होगी तो अपने आप पता चल जायेगा कि इस कार्य से कितना लाभ हुआ चाहें तो कुछ क्षेत्र में करके तुलनात्मक अध्ययन भी कर लें दो कोपलों में मीठा प्रोटीन रहता है जो पक्षियों/चिडिय़ों को स्वादिष्टï लगता है उसे चट करके पौधों को बेआसरा करके कमजोर कर देते हैं। और शुरू में ही फसल मार खा गई तो बाद में क्या सम्भल पायेगी। अंकुरण के बाद कतारों भी कोरी जगहों पर अलग से दाना डालकर वांच्छित पौध संख्या बनायें, एक वर्गमीटर में 35-40 पौधे अच्छे उत्पादन के लिये आवश्यक होते हैं। बुआई सीड कम फर्टिलाईजर ड्रिल/महाकाल दुफन/साधारण दुफन से ही करें जिसमें उर्वरक, बीज का स्थापन अलग-अलग हो, उर्वरक नीचे बीज ऊपर ऐसा करके भूमि के अंदर बीज/उर्वरक में नमी के लिये संघर्ष को रोकें ताकि बीज को पर्याप्त नमी मिल जाये वह बिना किसी अवरोधों के अंकुरित हो जायें बस एक बार कोपल भूमि के ऊपर आई तो मानों उत्पादन की सबसे कठिन सीढ़ी पार हो गई। खरीफ फसलों को वर्षा के अलावा खरपतवारों से भी एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। अच्छा होगा यदि बुआई पूर्व असरदार खरपतवारनाशी का उपयोग किया जा चुका हो तो फसल कीे प्रारंभिक अवस्था में पौधों को पनपने का अच्छा अवसर मिल जायेगा जो हमें ही देना है। उत्पादन की ये सस्ती तकनीकी का अंगीकरण हर किसान करे और स्वयं की प्रदेश की ओर देश की प्रगति में योगदान दे। आईये हम सब खरीफ का स्वागत करें। परंतु जरूरी समझाईशों प्राप्त मार्गदर्शन के प्रकाश में।