खजूर की खेती ने रेत को हरियाली में बदला, किसानों की आय में जबरदस्त इजाफा
22 दिसंबर 2024, भोपाल: खजूर की खेती ने रेत को हरियाली में बदला, किसानों की आय में जबरदस्त इजाफा – राजस्थान के बाड़मेर जिले की तपती रेत में अब खजूर के पौधे किसानों के जीवन में समृद्धि ला रहे हैं।यह कहानी केवल खेती की सफलता की नहीं, बल्कि एक ऐसी पहल की है जिसने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया और रेगिस्तान में हरियाली लाने का सपना पूरा किया।
खजूर: पोषण और संभावनाओं का खजाना
खजूर (फीनिक्स डैक्टिलिफेरा एल.) एक महत्वपूर्ण फल फसल है, जो खासकर शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है। यह 70% कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होती है और 1 किलो खजूर 3,000 किलो कैलोरी प्रदान करता है। इसमें विटामिन-ए, बी-2, बी-7, पोटेशियम, कैल्शियम, कॉपर, मैंगनीज, क्लोरीन, फॉस्फोरस, सल्फर और आयरन जैसे पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
भारत विश्व का सबसे बड़ा खजूर आयातक है और इसकी स्थानीय किस्में परंपरागत रूप से गुजरात के कच्छ-भुज क्षेत्र में उगाई जाती थीं। हालांकि, उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की कमी के चलते इसकी खेती सीमित थी।
बाड़मेर में खजूर की खेती का आगाज
बाड़मेर क्षेत्र खजूर की मेडजूल किस्म के लिए उपयुक्त पाया गया। यहाँ की जलवायु और खारे पानी की सहनशीलता ने इसे अनोखा बनाया। खजूर की खेती से न केवल किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिला बल्कि मरुस्थलीकरण रोकने में भी मदद मिली।
2010-11 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत, बाड़मेर में किसानों को टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार 3,432 खजूर के पौधे जैसे बरही, खुनीज़ी, खलास और मेडजूल किस्में प्रदान की गईं। प्रत्येक हेक्टेयर में 156 पौधों को 8×8 मीटर की दूरी पर लगाया गया।
सरकार और कृषि विभाग का योगदान
बाड़मेर में खजूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली अनिवार्य की गई। राजस्थान सरकार ने 98 हेक्टेयर में सरकारी खजूर फार्म और उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया। किसानों को सब्सिडी और वित्तीय सहायता के साथ-साथ कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया।
शुरुआत में 11 किसानों ने 22 हेक्टेयर में खजूर की खेती शुरू की और 2014 में पहली फसल प्राप्त की। बाजार में अच्छी मांग से उनकी आय में वृद्धि हुई। 2020-21 तक खजूर की खेती का रकबा 156 हेक्टेयर तक पहुँच गया और सालाना उत्पादन 150-180 टन हो गया।
खजूर की खेती के लाभ
- आर्थिक मजबूती: किसानों की आय बढ़ी और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
- आयात पर निर्भरता कम: देश में खजूर की उपलब्धता ने विदेशी मुद्रा की बचत में योगदान दिया।
- पोषण सुरक्षा: खजूर की खेती ने पोषक तत्वों की कमी को दूर किया।
- पर्यावरण संरक्षण: मरुस्थलीकरण कम हुआ और खेती के नए अवसर बने।
राजस्थान के अन्य जिलों जैसे जालोर, जोधपुर और जैसलमेर में खजूर की खेती का विस्तार किया जाएगा। खजूर की खेती न केवल किसानों के लिए आर्थिक स्थिरता लाई है, बल्कि यह क्षेत्र के विकास और पर्यावरण संरक्षण का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
यह कहानी बाड़मेर के किसानों की मेहनत, वैज्ञानिक तकनीकों और सरकार के प्रयासों का परिणाम है, जिसने रेगिस्तान में हरियाली और समृद्धि का रास्ता दिखाया।
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