डीएपी के दाम आसमान पर
खरीफ फसल पर बोवनी से पहले ही संकट के बादल, कोरोना में घिरी सरकार, मुट्ठी से फिसला उर्वरक
-
राजेश दुबे , 9826255864
17 मई 2021, भोपाल । डीएपी के दाम आसमान पर – सरकार से लेकर किसान तक ने खरीफ फसल की बोवनी की तैयारी प्रारम्भ कर दी है। केंद्र सरकार ने हाल ही में दिल्ली में हुए राष्ट्रीय वार्षिक खरीफ सम्मलेन में , इस खरीफ के लिए 15.58 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है । राज्य के कृषि मंत्री कृषि खाद , बीज , दवा की उचित व्यवस्था के लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दे रहे है। लेकिन इस बार बोवनी से पहले ही इस लक्ष्य और व्यवस्थाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक तरफ जहाँ ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना महामारी ने संकट फैला रखा है , वही कृषि यंत्रों के लिए आवश्यक पेट्रोल – डीज़ल के बढ़ते दामों ने भी किसानों के संकट को बढ़ा दिया है और अब खरीफ फसल के लिए सबसे जरूरी उर्वरक डीएपी के आसमान छूते दाम ने किसान को जमीन पर पटक दिया है।
म.प्र. मार्कफेड ने खरीफ 2021 में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को बिक्री किये जाने वाले डीएपी का मूल्य 1900 रुपये प्रति बोरी (50 किलो ) निर्धारित किया है। जो खरीफ 2020 के निर्धारित मूल्य 1150 रुपये की तुलना में 58 प्रतिशत अधिक है। यहाँ उल्लेखनीय होगा कि खरीफ 2019 के निर्धारित मूल्य 1400 रुपये से भी यह लगभग 36 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह एनपीके के मूल्य में भी वृद्धि हुई है। खरीफ 2021 के लिए एनपीके 12 :32 :16 का मूल्य 1800 रुपये और एनपीके 10 : 26 : 26 का मूल्य 1775 रुपये निर्धारित किया गया है। जो खरीफ़ 2019 और खरीफ 2020 से क्रमशः लगभग 40 प्रतिशत और लगभग 60 प्रतिशत अधिक है।
उर्वरक उद्योग के जानकारों के अनुसार फॉस्फेटिक उर्वरकों के दामों में बढ़ोतरी कि संभावना पहले से ही थी। इस साल के शुरुआत से ही अंतराष्ट्रीय बाजार में फॉस्फेटिक उर्वरकों और उसके निर्माण में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल के दामों में वृद्धि होने लगी थी। जिसका असर भारतीय उर्वरक निर्माताओं पर भी पड़ने लगा था। जिसके कारण इन्होने भी फॉस्फेटिक उर्वरकों के मूल्य धीरे धीरे बढ़ाने शुरू कर दिए थे।
ऊर्वरक निर्माताओं और प्रदायकों ने केंद्र सरकार को भी समय समय पर इस समस्या से अवगत कराया और किसानों के हित में इस समस्या का हल निकालने का अनुरोध किया। लेकिन केंद्र सरकार अपनी दूसरी व्यस्तताओं के बीच इस मसले पर ध्यान नहीं दे पाई। अब स्थिति यह है कि कोरोना महामारी से घिरी सरकार की मुट्ठी से उर्वरक फिसलता जा रहा है।
देश का अन्नदाता जिंदगी की जंग में कभी मौसम की मार , कभी फसल के गिरते भाव , कभी कीट बीमारियों का प्रकोप जैसी कई मार को झेलता है पर हर बार नई उमंग और नए उत्साह के साथ खड़ा होकर फिर नई फसल की तैयारी में लग जाता है। वर्तमान में भी कोरोना महामारी की आपदा में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को झेलता किसान किसी तरह रबी की फसल को समेट कर आगामी खरीफ फसल की तैयारी में लगा है। महामारी की विपदा के बावजूद देश के लिए अन्न उगाने की चिंता में फिर खड़े होने का प्रयास कर रहा है परन्तु लगता है कि अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े दौड़ाती सरकार को अन्नदाता की कमर टूटने कि चिंता नहीं है।
म. प्र. में फॉस्फेटिक उर्वरकों की 3 वर्षों की निर्धारित दरें
मूल्य – रु. प्रति बोरी 50 किलो
उर्वरक |
खरीफ 2019 |
खरीफ 2020 |
खरीफ 2021 |
डीएपी Advertisement8
Advertisement
|
1400 |
1150 |
1900 |
एनपीके |
1290 |
1125 |
1800 |