मौसम की मार से बर्बाद हुई फसलें! हरियाणा सरकार ने बढ़ाई मुआवजे के लिए आवेदन की समय सीमा, जानें नई तारीख
02 सितम्बर 2025, भोपाल: मौसम की मार से बर्बाद हुई फसलें! हरियाणा सरकार ने बढ़ाई मुआवजे के लिए आवेदन की समय सीमा, जानें नई तारीख – हरियाणा राज्य, जो पंजाब से सटा हुआ है, इस बार मानसून की भारी बारिश से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। तेज बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। खेतों में पानी भर जाने की वजह से खरीफ की फसलें पूरी तरह या आंशिक रूप से खराब हो गई हैं। इस स्थिति को देखते हुए हरियाणा सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए राहत योजना को लागू किया है।
सरकार ने रोहतक, हिसार, चरखी दादरी, पलवल, सिरसा, नूह सहित कुल 12 जिलों के किसानों के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन की समय सीमा बढ़ा दी है। पहले यह पोर्टल 31 अगस्त तक खुला था, लेकिन अब किसानों को 10 सितंबर तक आवेदन करने का अवसर दिया गया है। सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, इन 12 जिलों के कुल 1402 गांव बाढ़ की मार से प्रभावित हुए हैं।
प्रभावित इलाकों में यमुनानगर के 600, झज्जर के 264, नूंह के 166, हिसार के 86, कुरुक्षेत्र के 75, पलवल के 59, भिवानी के 43, रोहतक के 41, चरखी दादरी के 34, फतेहाबाद के 21, रेवाड़ी के 7 और सिरसा के 6 गांव शामिल हैं।
ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल क्या है?
किसान https://ekshatipurti.haryana.gov.in/ पर जाकर अपने फसल नुकसान की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के अनुसार, यह पोर्टल किसानों को जलभराव से हुए नुकसान की जानकारी सरकार तक पहुंचाने का एक आसान और प्रभावी तरीका है। पोर्टल पर प्राप्त सभी दावों का संबंधित विभाग के अधिकारी सत्यापन करते हैं।
सीएम सैनी के कार्यालय ने बताया कि अब तक प्रभावित किसानों को 78.50 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राहत राशि वितरित की जा चुकी है। यह पोर्टल दिसंबर 2024 में शुरू किया गया था, जिसके बाद मुआवजे की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज हो गई है।
सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि पहले किसानों को मुआवजे के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, और कई बार मुआवजा सही समय पर नहीं पहुंचता था या उसका गलत उपयोग हो जाता था। लेकिन इस पोर्टल के शुरू होने के बाद से किसानों को समय पर उचित मुआवजा मिलना शुरू हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने इस पोर्टल के खिलाफ गलत प्रचार किया था, लेकिन जनता ने इसे स्वीकार नहीं किया।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:


