प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण छिंदवाड़ा जिला फसल विविधीकरण में बनेगा अव्वल
200 करोड़ रू. का आलू खरीदती है चिप्स बनाने वाली कंपनियां
5 जुलाई 2022, छिंदवाड़ा । प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण छिंदवाड़ा जिला फसल विविधीकरण में बनेगा अव्वल – क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश के सबसे बड़े जिले में सुमार छिंदवाड़ा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए तो पहचाना जाता है साथ ही कृषि, उद्यानिकी, वनोपज के उत्पादन से देश में अलग पहचान रखता है। वर्तमान में शासन के फसल विविधीकरण एवं प्राकृतिक खेती कार्यक्रम क्रियान्वयन में जिले के किसान बढ़-चढक़र हिस्सा ले रहे हैं।
कलेक्टर श्री सौरभ कुमार सुमन के मार्गदर्शन एवं उपसंचालक कृषि श्री जितेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में पूरा कृषि विभाग एवं आत्मा का मैदानी अमला फसल विविधीकरण के साथ प्राकृतिक खेती करने हेतु प्रत्येक ब्लॉक में चुनिंदा किसानों के यहां प्रदर्शित करवा रहा है। इसको देखने आसपास के किसान पहुंच रहे हैं। जिले के तामिया, हर्रई, अमरवाड़ा, जुन्नारदेव क्षेत्र पहाड़ी एवं हल्की मिट्टी होने के कारण यहां मक्का, कोदो कुटकी, अरहर एवं रामतिल की खेती के लिए अनुकूल है वहीं छिन्दवाड़ा, चौरई, बिछुआ, मोहखेड़, परासिया विकासखंड मक्का, सोयाबीन एवं सब्जियों की खेती के लिये पहचाने जाते हैं। महाराष्ट्र से लगे पांढुर्णा, सौंसर विकासखंड कपास, अरहर के साथ यहां का संतरा सतपुड़ा ऑरेंज के नाम से पहचान रखता है। इसकी देश ही नहीं अपितु अन्य देशों में बहुत मांग रहती है।
वन से उत्पादित चिरौंजी वृहद आकार एवं स्वादिष्ट होने के कारण देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे अच्छी क्वालिटी की मानी जाती है एवं विदेशों में उसकी बहुत माँग रहती है। सब्जियों का राजा आलू भी यहां किसानों द्वारा लगाया जाता है। इसकी उच्च गुणवत्ता के कारण कई कम्पनियों जिनमें प्रमुख पेप्सिको, आईटीसी, हल्दीराम किसानों से खरीदती है। यह कंपनियां अनुमानित 10 हजार हेक्टर में आलू फसल पर अनुबंध कर लगभग 200 करोड़ रूपये का भुगतान किसानो को करती हैं। सब्जी उत्पादन कर अन्य स्थानों पर भेजने में फूलगोभी, टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, लहसुन भी यहां वृहद स्तर पर उत्पादित किया जाता है।
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