जबलपुर में गाजर घास जागरूकता सप्ताह का हुआ शुभारंभ
20 अगस्त 2024, जबलपुर: जबलपुर में गाजर घास जागरूकता सप्ताह का हुआ शुभारंभ – भा.कृ.अनु.प.-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर, परिसर में 16 अगस्त को गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम के साथ किया गया। इसमें विंग्स कान्वेंट स्कूल के लगभग 350 बच्चों तथा अध्यापक/अध्यापिकाओं ने रैली निकालकर, गाजरघास के पौधों को उखाड़कर एवं नुकड़ नाटक के माध्यम से गाजरघास उन्मूलन का संदेश दिया। साथ ही शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अगरिया गोसलपुर में भी रैली निकालकर, गाजरघास के पौधों को उखाड़कर एवं नुकड़ नाटक के माध्यम से गाजरघास उन्मूलन का संदेश दिया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. ए.के. पात्रा, पूर्व निदेशक, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल ने इस अवसर पर कहा कि गाजर घास के नियंत्रण के लिए जैविक नियंत्रण सहित अन्य समन्वित विधियों का प्रयोग करना आवश्यक है। उन्होने कहा कि इस भीषण समस्या से मुक्ति पाने के लिए समाज के हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है एवं गाजरघास से उत्तम कम्पोस्ट एवं बायोचार बनाने की जानकारी दी, जिससे कृषक अपनी आय बढ़ा सकते है । उन्होंने गाजरघास से निपटने के लिए अपने विभाग में कार्यक्रम आयोजित कर जागरूकता फैलाने एवं भविष्य मे इसमें पूर्ण सहयोग की बात कही।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों में डॉ. ए.उपाध्याय, विभाग प्रमुख, पूर्वी अनुसंधान परिसर , पटना, डॉ. एम.बी.बी. प्रसाद बाबू,प्रधान वैज्ञानिक , भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, डॉ. एम. एस. रघुवंशी, प्रधान वैज्ञानिक , एन. बी.एस. एस. एल. यू. पी. नागपुर और श्री राजीव सिंह निदेशक विंग्स कान्वेंट स्कूल, जबलपुर उपस्थित रहे एवं गाजर घास उन्मूलन की दिशा में अपने विचार प्रकट किए । खरपतवार अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. जे.एस. मिश्र ने बताया कि गाजर घास न केवल फसलों, बल्कि मनुष्यों और पशुओं के लिए भी एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। गाजरघास पूरे वर्ष भर उगता एवं फलता-फूलता रहता है। बहुतायत रूप से गाजरघास खाली स्थानों,अनुपयोगी भूमियों , औद्योगिक क्षेत्रों, सड़क के किनारों , रेलवे लाइनों, शहरी एवं ग्रामीण रहवासी स्थानों आदि पर पाए जाते हैं। परन्तु अब इसका प्रकोप विभिन्न खाद्यान फसलों, सब्जियों एवं उद्यानिकी में भी बढ़ रहा है।गाजरघास के तेजी से फैलने के कारण अन्य उपयोगी वनस्पतियों , स्थानीय जैव विविधतता एवं पर्यावरण पर पर गंभीर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
प्रधान वैज्ञानिक एवं गाजर घास जागरूकता कार्यक्रम के संयोजक डॉ. पी.के. सिंह ने गाजर घास से होने वाले दुष्प्रभावों और इसके नियंत्रण के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। गाजर घास को खाने वाले कीट जाइगोग्रामा बाईकोलोराटा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह कीट जबलपुर सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा काम कर रहा है। साथ ही, चल चित्रों के माध्यम से इसकी विस्तृत जानकारी दी गई I कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम के सदस्यों में, वैज्ञानिक डॉ. अर्चना अनोखे, डॉ. दीपक पवार, डॉ.जे.के.सोनी, और डॉ. दीक्षा एमजी एवं निदेशालय के समस्त वैज्ञानिक / अधिकारी / कर्मचारी /छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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