केले के रेशे से निर्मित टोपी ने लंदन में बनाई पहचान
अनुसुइया चौहान ने केले के तने के रेशे से बुना जीवन बदलने का तानाबाना
05 दिसंबर 2024, बुरहानपुर: केले के रेशे से निर्मित टोपी ने लंदन में बनाई पहचान – बुरहानपुर जिले में ‘‘एक जिला-एक उत्पाद‘‘ के तहत चयनित फसल केला के फलोत्पादन के साथ-साथ इसके तने का भी भरपूर इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के उत्पादों को बनाने में किया जा रहा है। जिले में केले का उपयोग विभिन्न खाद्य पदार्थों जैसे-चिप्स, बनाना पाउडर, केक, स्वादिष्ट व्यंजनों के रूप में हो रहा है। फरवरी माह में आयोजित बनाना फेस्टिवल ने जिले की मुख्य फसल केले को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। एक ओर जहां बुरहानपुर का केला देश के अलावा विदेशों में भी पहुँच रहा है, वहीं केले के तने से रेशा निकालकर बड़ी ही खूबसूरती के साथ तैयार की गई टोपी लंदन तक अपनी पहुंच बना चुकी है। रेशे से बनी यह टोपियां व्यक्ति को धूप से बचाने के साथ-साथ उन्हें एक नया लुक भी देती है।
केले के तने के रेशे से बुना जीवन बदलने का ताना-बाना – यह कहानी बुरहानपुर जिले के बुरहानपुर जनपद के अंतर्गत आने वाले छोटे से गांव एकझिरा की रहने वाली स्व सहायता समूह की दीदी अनुसुइया चौहान की है। अनुसुइया बताती है कि, आजीविका मिशन के लव-कुश स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में नया मोड़ आया है। अपने घरेलू काम के साथ-साथ परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर पा रही हूँ। मिली आर्थिक मजबूती अनुसुईया दीदी ने समूह की सहायता से अपने केले की खेती के कारोबार को बढ़ाया। अब वे केले की खेती से प्राप्त होने वाले तने का भी इस्तेमाल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में कर रही है। तने से रेशे निकालने के लिए मशीन खरीदकर, अब वे घर से ही रेशा निकालने का कार्य कर रही है। आमदनी में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है।
मशीन ने किया काम आसान – तने से रेशा निकालकर, सुखाकर, सुलझाकर उससे छोटे-बड़े आकार की सुंदर – सुंदर टोपियाँ तैयार की जाती है। इन टोपियों की कीमत उनके आकार एवं बनावट के अनुसार रहती है। मध्यम साइज की एक गोल टोपी की कीमत लगभग 1100-1200 रूपये के आसपास बनती है। अनुसुइया अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर टोपियों के अलावा रेशे से अन्य उत्पाद भी तैयार करती हैं ।
लंदन पहुंची टोपी -अनुसुइया बताती है कि उनके द्वारा तैयार की गई टोपी लंदन तक जा चुकी है। लंदन में रहने वाले, लालबाग क्षेत्र के परिवार के सदस्यों ने यह टोपी खरीदी है। यह हर्ष का विषय है कि बुरहानपुर के केले के तने के रेशे से निर्मित टोपियाँ लंदन में भी अपनी छाप छोड़ रही है। अनुसुइया के जीवन में यह बदलाव आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद आया है। बनाना फेस्टिवल से उन्हें नई ऊर्जा एवं प्रेरणा मिली है। अपने हौसले एवं हुनर को नई पहचान मिलने पर अब जिले की महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। सरकार की मंशानुसार समूह की दीदियों को अनुसुइया की तरह लखपति दीदी बनाने का प्रयास जिले में जारी है।
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