प्राकृतिक खेती के लिए चलाया गया जागरूकता अभियान
01 सितम्बर 2025, बालाघाट: प्राकृतिक खेती के लिए चलाया गया जागरूकता अभियान – किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने कृषि विभाग द्वारा जिले में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत कृषि विभाग के अमले द्वारा किसानों को रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के उपयोग से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया जा रहा है। इसके साथ ही किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती के लाभ भी बताए जा रहे है। इसी कड़ी में 28 अगस्त को लांजी विकासखंड के ग्राम बाघा टोला में जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें किसानों को जीवामृत एवं दशपर्णी अर्क बनाने की विधियां बताई गई।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन की कृषि सखी दीदी द्वारा किसानों को बताया गया कि दशपर्णी अर्क बनाने के लिए एक ड्रम में 200 लीटर पानी डाले और इसमें 10 लीटर गौमूत्र व 02 किलोग्राम देशी गाय का गोबर मिलाकर अच्छे से घोल बना ले। इस घोल में 05 किलोग्राम नीम की पत्ती, 02-02 किलोग्राम सीताफल, बेल, बेर, पपीते, अमरूद, कनेर, आम, देशी करेले एवं आम की पत्तियां डाल दे। इसके बाद इसमें आधा से एक किलोग्राम तक तम्बाकू और आधा किलो चटनी डाल दे। इस घोल को छाया में रखे और वर्षा के पानी और सूर्य की रोशनी से बचाए। 40 दिन में इससे दवा तैयार हो जाएगी। इसे कपड़े से छानकर अलग कर ले। 200 लीटर पानी में यह 05 से 06 लीटर दशपर्णी अर्क कीट नियंत्रण के लिए किसी भी फसल में छिड़का जा सकता है।
किसानों बताया गया कि रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से खेतों में पैदा होने वाला अनाज प्रदूषित हो गया है। इसके सेवन से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही है। इन बीमारियों से बचाव के लिए खेतों में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक का उपयोग बंद कर उनके स्थान पर जैविक एवं प्राकृतिक खाद व कीटनाशक का उपयोग करना होगा। इस कार्यक्रम में विकासखंड तकनीकी प्रबंधक अजय बिजेवार एवं कृषि सखी उमेश्वरी बंसोड़ उपस्थित रहे।
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