ऑटोमेट इरिगेशन ने किया टेक्निकल सेमिनार का आयोजन
30 अगस्त 2025, इंदौर: ऑटोमेट इरिगेशन ने किया टेक्निकल सेमिनार का आयोजन – सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों की निर्माता कंपनी ऑटोमेट इरिगेशन प्रा लि द्वारा गत दिनों इंदौर में टेक्निकल सेमिनार का आयोजन किया गया , जिसमें कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट श्री अनिल कुमार कौशल, जोनल मैनेजर श्री कंवल चौधरी ,रीजनल मैनेजर श्री सुबल महतो ,स्मार्ट इरिगेशन के इंजीनियर श्री गौरव कुमार, उद्यानिकी विभाग के तकनीकी अधिकारी श्री के डी कांठे सहित करीब 20 कंपनियां एवं 80 डीलर शामिल हुए।
श्री कौशल ने स्वचालित सिंचाई प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मिनी स्प्रिंकलर की उपयोगिता , बाजार में मांग और इसके उज्जवल भविष्य की दृश्य – श्रव्य माध्यम से विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मप्र में सूक्ष्म सिंचाई के करीब 80 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इंदौर -देवास जिले में भी बहुत काम हो रहे हैं। स्प्रिंकलर पर वृहद स्तर पर कार्य होने जा रहा है। इस क्षेत्र में व्यापार का भविष्य उज्जवल है। स्मार्ट इरिगेशन एन्ड फर्टिगेशन से समय और पानी दोनों की बचत होती है। खेत तक पहुंचे पानी के इस्तेमाल की किसान की चुनौतियों पर भी काम हो रहा है , ताकि उन्हें सिंचाई करने में आसानी हो। लगातार बढ़ती जन संख्या , घटती खेती की ज़मीन और गिरता भू जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री कौशल ने कहा कि जल की बचत बहुत ज़रूरी है। सूक्ष्म सिंचाई के साधन इसमें मददगार साबित होंगे। स्वचालित सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल कर फसल को ज़रूरत के मुताबिक अपनी सुविधा से समय अनुसार पानी दिया जा सकता है। इससे किसानों की लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा।
श्री चौधरी ने स्वागत भाषण में ऑटोमेट इरिगेशन द्वारा निर्मित स्वचालित सूक्ष्म सिंचाई से संबंधित सम्पूर्ण शृंखला पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कम्पनी द्वारा देश के गांवों के किसानों की ज़रूरत के मुताबिक कम्प्यूटरीकृत सिंचाई उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें फसलों को आवश्यकता के अनुरूप पानी और पोषण मिलेगा। श्री चौधरी ने बताया कि हाल ही में मप्र सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत बागवानी फसलों के लिए सेंसर आधारित संतुलित पोषण परियोजना को मंजूरी दी है। इसकी एक यूनिट की लागत 4 लाख है , जिस पर किसानों को 50 % सब्सिडी अर्थात अधिकतम 2 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा। कम्पनी द्वारा जल्द ही इंदौर में भी इरिगेशन प्रोजेक्ट सिस्टम शुरू किया जाएगा। मप्र में भी इस प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है।
श्री कांठे ने कहा कि निकट भविष्य में महाराष्ट्र की तर्ज़ पर खेती होगी , जिसमें किसानों का ध्येय सिर्फ उत्पादन करना नहीं, बल्कि फसल का मूल्य संवर्धन कर उसे सीधे ग्राहक तक पहुंचाने का रहेगा। इस पर शासन- प्रशासन भी कार्य कर रहा है। जल पर बहुत कार्य करने की ज़रूरत है। मप्र में जहाँ पहले 40 -45 इंच औसत वर्षा होती थी वह अब घटकर 32 -33 औसत पर इंच पर आ गई है। इसलिए जल पर बहुत कार्य करने की ज़रूरत है। बहाव सिंचाई की तुलना ड्रिप से सिंचाई करने पर करीब 40 -50 % पानी की बचत हो जाती है। सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों के क्षेत्र में ऑटोमेट ने अच्छा काम किया है। मिनी स्प्रिंकलर / पोर्टेबल स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से पानी , पैसा और समय भी बचेगा। इस क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं हैं। कार्यक्रम के आरम्भ में आगंतुकों का स्वागत श्री सुबल महतो ने किया। आभार प्रदर्शन श्री गौरव कुमार द्वारा किया गया।
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