राज्य कृषि समाचार (State News)

अनिल ने सुरजने की खेती से अब तक लिया 6 लाख का मुनाफा

20 दिसम्बर 2022, खरगोन: अनिल ने सुरजने की खेती से अब तक लिया 6 लाख का मुनाफा – सूचना क्रांति के दौर में डिजिटल तकनीक के सहारे संचार माध्यम का सार्थक उपयोग करना भी एक कला ही है। इसी कला की बदौलत खरगोन शहर से करीब 20 किमी. दूर स्थित रायबिड़पुरा के 46 वर्षीय बीए तक शिक्षित श्री अनिल वर्मा ने सुरजने की फसल से 3 वर्षाे में 6 लाख रुपये से अधिक का मुनाफा लिया है। वे सुरजने की आधुनिक खेती के साथ-साथ अंतरवर्ती फसल भी ले  रहे हैं।

नियमित छंटाई और टॉपिंग से मिला लाभ – श्री अनिल बताते है कि पहले लॉक डाउन के दौरान महाराष्ट्र के एक किसान से सुरजना के बीज और फलियों के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने लगातार यूट्यूब पर इस फसल की जानकारी लेते रहे। इसी समय इसकी खेती की ओर रुचि बढ़ी । वर्ष 2019 में मनरेगा से जुड़ने के बाद अब तक सुरजने की खेती से वे 5 बार फसल लेकर 6 ठी लेने को तैयार है। इससे उन्हें 6 लाख रुपये तक का मुनाफा हुआ है। सुरजने की आधुनिक खेती के साथ-साथ अंतरवर्ती फसल लेकर बढ़ावा दे रहे हैं। सुरजना एक बड़े पेड़ पीपल, नीम या बरगद के समान भी आकार ले सकता है। लेकिन श्री अनिल की तकनीक ऐसी है कि वे इससे होने वाले फायदे के लिए मई माह में छंटाई  तथा टॉपिंग कर भरपूर फायदा ले रहे है। टॉपिंग करके अधिक से अधिक शाखाओं से 20 से 25 किलो. फलियां ले सकते हैं , जबकि छंटाई  से शाखाएं बढ़ाने में सहयोग मिलता है। टॉपिंग पौधे पर आने वाली कलियों को तोड़ते हैं  और छंटाई में निकलने वाली शाखाएं व्यवस्थित करने से अधिक संख्या में शाखाएं निकलती है।

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बहु गुणकारी  सुरजना –  श्री वर्मा ने बताया कि सुरजने या मोरिंगा की देश सहित विदेशों में अच्छी मांग है। यह एक ऐसा पौधा है जिसकी जड़ से लेकर शाखाओं तक का उपयोग किया जाता है। इसका पोषण में उपयोग के अलावा आयुर्वेद में बड़ा महत्व माना गया है। इसमें  दूध की तुलना में चार गुना अधिक पोटेशियम, 7 गुना अधिक कैल्शियम, संतरा की तुलना में 7 गुना अधिक विटामिन पाया जाता है। सुरजने का उपयोग न सिर्फ भोजन में बल्कि दवा या आयुर्वेद में इसका उपयोग ज्यादा होता है। इसकी फली व सूखी  तथा हरी पत्तियों में कार्बाेहाइड्रेड, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, मैंगनीशियम और विटामिनों में ए, बी और सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इन सब के अलावा 18 तरह के अमीनों एसिड मिलता है। इस पौधे की फल, फूल, पत्ती, सब्जी, छाल, पत्ती बीज, गोंद का उपयोग होता है। साथ ही जड़ से आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती है। इसकी जड़, तना, फल, पत्ती, छाल और गोंद से करीब 300 से अधिक बीमारियों  में कारगर रूप से उपयोगी हो रही है।  वे इसकी पत्तियों का पाउडर बनाकर समुचित मात्रा में गेहूं के आटे में मिलाकर भी व्यवसाय भी कर रहे हैं । यह हड्डी की बीमारियों में तथा बच्चों को कुपोषण दूर करने में उपयोगी है।  

मनरेगा से मिला सहयोग – उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी श्री पीएस बड़ोले ने बताया कि रायबिड़पुरा के श्री अनिल के खेत पर मनरेगा के तहत पौध लगाने के लिए डीपीआर बनाई गई थी। इसमें 1200 पौध के लिए 110704 रुपये की मजदूरी की राशि और 21600 रुपये सामग्री के लिए प्रदाय किये गए हैं । श्री अनिल ने अपनी रुचि से अपने संसाधनों के सहयोग से करीब 2.50 एकड़ में खेती करने लगे हैं । इसमें ड्रिप सिस्टम उनका ही है। उनकी खेती करने का उत्साह सराहनीय है। वे सुरजने की फसल के बीच अंतवर्ती खेती भी करते हैं । अनिल को मनरेगा से आगे 1 लाख 44 हज़ार  मजदूरी और 1 लाख 63 हज़ार  सामग्री की कुल राशि 3 लाख रु मिलेगी।

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