कृषि विभाग की सलाह: धान में हरी काई और तना छेदक से बचाव के लिए किसान करें ये जरूरी काम
27 अगस्त 2025, भोपाल: कृषि विभाग की सलाह: धान में हरी काई और तना छेदक से बचाव के लिए किसान करें ये जरूरी काम – छत्तीसगढ़ कृषि विज्ञान के विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसल की सुरक्षा और उत्पादन बढ़ाने के लिए उर्वरक और कवकनाशी का छिड़काव केवल तभी करें जब मौसम साफ हो। मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों में राज्य में मध्यम बारिश हो सकती है, इसलिए किसान छिड़काव का काम तभी करें जब आसमान साफ हो। धान की फसल में हरी काई की समस्या दिखने पर खेत से पानी निकालें और पानी के प्रवेश बिंदु पर कॉपर सल्फेट की पोटली बांधकर रखें। इससे फसल की बीमारी से रक्षा हो सकेगी।
धान के कंस निकलने की अवस्था में नत्रजन उर्वरक की दूसरी मात्रा के रूप में यूरिया 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। जीवाणु जनित झुलसा रोग से बचाव के लिए संतुलित उर्वरकों का प्रयोग जरूरी है। रोग दिखने पर पोटाश 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। तना छेदक रोग के प्रकोप की स्थिति में कर्टाप हाइड्रोक्लोराइड 50 डब्ल्यूपी एक किलोग्राम या क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल 150 मिली प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
नत्रजन का छिड़काव कुल मात्रा का एक चौथाई रोपाई के 25-30 दिन बाद यूरिया के रूप में करें और फिर खेत में 24 घंटे तक पानी रोककर रखें। पोटाश की शेष 25 प्रतिशत मात्रा भी इसी दौरान छिड़काव करें। धान में शीथ ब्लाइट रोग की स्थिति में हेक्साकोनाजोल 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
अन्य फसलों में उर्वरक और कीटनाशक छिड़काव में रखें सावधानी
सोयाबीन की फसल में गर्डल बीटल (चक्र भृंग) की समस्या होने पर थाइक्लोपीड 21.7 एससी 750 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों एवं सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पूर्व मिश्रित कीटनाशक (बीटासायफ्लुथ्रीन-इमिडाक्लोप्रिड 350 मिली प्रति हेक्टेयर या थायमिथाक्सम-लेम्बडा सायहेलोथ्रीन 125 मिली प्रति हेक्टेयर) का प्रयोग किया जाना चाहिए। यह उपाय तना मक्खी के नियंत्रण में भी सहायक सिद्ध होगा।
अरहर की फसल में तना अंगमारी (स्टेम ब्लाइट) रोग की प्रारंभिक अवस्था में ताम्रयुक्त कवकनाशी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या मेटालेक्सिल एमजेड 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव 10-12 दिन के अंतराल में दो-तीन बार करने पर रोकथाम संभव है।
मूंग व उड़द की फसल में भभूतिया रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) दिखाई देने पर घुलनशील गंधक 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। सफेद मक्खी के आक्रमण से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रीड 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव प्रभावी होगा। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार मध्यम वर्षा की संभावना को देखते हुए किसानों को मूंग एवं उड़द फसलों में अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करने कहा गया है।
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