चने की फसल में फली छेदक कीट से बचाव: कृषि विभाग ने जारी की परामर्शिका
16 दिसंबर 2024, अजमेर: चने की फसल में फली छेदक कीट से बचाव: कृषि विभाग ने जारी की परामर्शिका – रबी सीजन के दौरान चने की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है। यह कीट फसल की उपज को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकता है। ऐसे में, कृषि विभाग ने फली छेदक कीट के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक परामर्शिका जारी की है, जिससे किसानों को इस कीट के हमले से बचाव में मदद मिलेगी।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा के अनुसार, फली छेदक कीट की लटें हरे रंग की होती हैं, जिनकी लंबाई लगभग 1.25 इंच और मोटाई 0.25 इंच होती है। समय के साथ ये लटें गहरे भूरे रंग में बदल जाती हैं। शुरुआत में यह कीट पत्तियों को खाता है, लेकिन जैसे ही फली लगने लगती है, यह कीट इरागे के छेद करके अंदर के दानों को खाकर उन्हें खोखला कर देता है। इससे फसल की पैदावार पर गंभीर असर पड़ता है।
फली छेदक कीट के प्रबंधन के उपाय
कीट के प्रकोप से बचने के लिए कृषि विभाग ने कई उपाय सुझाए हैं:
- अंडे और सुण्डियों का नष्ट करना: फली छेदक कीट के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले उसके अंडे और सुण्डियों को इकट्ठा कर नष्ट करना चाहिए।
- फेरोमोन ट्रैप का उपयोग: खेत में 4-5 फेरोमोन ट्रैप प्रति हैक्टर का उपयोग करना चाहिए ताकि कीटों को आकर्षित किया जा सके और उनकी संख्या पर नियंत्रण पाया जा सके।
- तम्बाकू की पत्तियों का घोल: कीट के नियंत्रण के लिए तम्बाकु की सुखी पत्तियों का 3 प्रतिशत घोल तैयार कर फूल आने और फली बनने के समय छिड़काव करें।
- एजाडिरेक्टिन का छिड़काव: कीट नियंत्रण के लिए फसल में एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम (0.15 प्रतिशत ईसी), 5 मिली लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
- एन.पी.वी. और बेसिलस थुरिंजिनेसिस का उपयोग: 50 प्रतिशत फूल आने पर पहला छिड़काव एन.पी.वी. 250 एल.ई. प्रति हैक्टर की दर से करें और दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद बेसिलस थुरिंजिनेसिस के 1200 ग्राम प्रति हैक्टर की दर से करें।
कीट के प्रकोप के बाद कीटनाशी रसायन का उपयोग
यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (लट प्रति गीटर से अधिक) तक बढ़ जाए, तो विभागीय सिफारिशों के अनुसार कीटनाशी रसायनों का उपयोग करें। यह छिड़काव सुबह या शाम के समय खड़ी फसल में किया जाना चाहिए।
अविलंब सहायता और अनुदान
कृषि विभाग द्वारा कीट-व्याधि के प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को अनुदान पर पौध संरक्षण रसायन प्रदान किए जाते हैं। इससे किसानों को शीघ्र प्रभावी नियंत्रण उपायों का पालन करने में मदद मिलती है, जिससे कीट-व्याधि का सही समय पर प्रबंधन संभव हो पाता है।
कृषि विभाग की यह परामर्शिका किसानों को फली छेदक कीट के प्रबंधन में मदद करने के लिए जारी की गई है, ताकि चने की फसल में नुकसान को कम किया जा सके और किसानों की मेहनत का सही मूल्य मिल सके।
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