Mp में खुलेगा ₹5 करोड़ का केवट प्रशिक्षण संस्थान, हाईटेक ड्रोन-कंट्रोल रूम से होगी मछुआरों की निगरानी
आधुनिक सुविधाओं से मछुआरों की सुरक्षा और आय बढ़ाने की पहल
11 जुलाई 2025, भोपाल: Mp में खुलेगा ₹5 करोड़ का केवट प्रशिक्षण संस्थान, हाईटेक ड्रोन-कंट्रोल रूम से होगी मछुआरों की निगरानी – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मछुआरों की सुरक्षा और समृद्धि सरकार की प्राथमिकता है। इसी दिशा में प्रदेश सरकार ने आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़ा कदम उठाया है। मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के सबसे बड़े जलाशयों में से एक इंदिरा सागर में ड्रोन, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरों से लैस आधुनिक कंट्रोल कमांड रूम तैयार किया जा रहा है।
इस प्रणाली से मछुआरों की 24 घंटे निगरानी हो सकेगी और आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सकेगी। ड्रोन की मदद से जल क्षेत्र की लाइव निगरानी और जीपीएस से नावों की लोकेशन ट्रैकिंग भी की जाएगी। साथ ही, यह तकनीक मत्स्य बीज संचयन और ब्रीडिंग ग्राउंड की पहचान में भी सहायक होगी, जिससे मत्स्य पालन अधिक सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से हो सकेगा।
भोपाल में बनेगा आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान
राज्य में मॉडर्न एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अहम पहल की जा रही है। केन्द्र सरकार की फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड योजना के तहत भोपाल में 5 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस संस्थान में केज कल्चर, बायोफ्लॉक, रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम, मछलियों की हाइजेनिक हैंडलिंग, फिश प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वैल्यूएडिशन जैसे विषयों पर मछुआ समुदाय को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। मछुआरों को इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप मछली पालन तकनीक की जानकारी और व्यावसायिक दक्षता प्राप्त होगी।
मछुआरों के लिए बनेंगे ट्रांजिट हाउस और फ़्लोटिंग प्लेटफ़ॉर्म
मत्स्य महासंघ के जलाशयों में कार्यरत मछुआरों को कई बार 15 दिन से लेकर एक महीने तक खुले टापुओं या जलाशय के किनारों पर अपनी नावों में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। वर्षा ऋतु में टापुओं का जलस्तर बढ़ जाता है, ऐसे में मछुआरों को जलीय जीव-जंतुओं से जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। मछुआरों को इससे बचाने के लिए महासंघ ने गांधी सागर और इंदिरा सागर के टापुओं पर 5 ट्रांजिट हाउस और जल के मध्य 2 फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। मछुआरों के लिए इसमें आपातकालीन स्थिति में भोजन निर्माण, सोलर मोबाइल चार्जिंग और बायो टॉयलेट जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
राज्य सरकार की यह पहल मछुआरों की सुरक्षा और सुविधा को बेहतर बनाएगी, साथ ही जल आधारित संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन और मत्स्य उत्पादन की वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आधुनिक तकनीक के समावेश से अब राज्य में मत्स्याखेट और मछलीपालन नए आयाम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हैं।
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