सरकारी योजनाएं (Government Schemes)राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

पुरानी नहरें होंगी हाईटेक, केंद्र सरकार ने 1600 करोड़ की योजना को मंजूरी दी

10 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: पुरानी नहरें होंगी हाईटेक, केंद्र सरकार ने 1600 करोड़ की योजना को मंजूरी दी – खेती में सिंचाई की पुरानी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने और जल की बर्बादी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई पहल को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2025-26 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत ‘कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन’ (M-CADWM) की उप-योजना के आधुनिकीकरण को हरी झंडी दी गई। इस योजना पर कुल 1600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

इस योजना का मकसद यह है कि मौजूदा नहरों या अन्य जल स्रोतों से खेतों तक पानी की आपूर्ति को तकनीक के जरिए बेहतर और कुशल बनाया जा सके। सरकार की मंशा है कि एक हेक्टेयर तक के क्षेत्र में दबावयुक्त भूमिगत पाइपों के ज़रिए माइक्रो-इरीगेशन के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा तैयार हो।

योजना में SCADA और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि पानी की उपलब्धता और खपत का सही आंकलन किया जा सके। इससे खेत स्तर पर जल उपयोग की दक्षता बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जो अंततः फसल उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी कर सकता है।

योजना के तहत सिंचाई प्रबंधन को टिकाऊ बनाने के लिए जल उपयोगकर्ता समितियों (WUA) को सक्रिय भूमिका दी जाएगी। इन समितियों को पांच सालों तक एफपीओ (FPO) या पीएसीएस (PACS) जैसी मौजूदा आर्थिक संस्थाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि सिंचाई प्रबंधन अधिक संगठित और जवाबदेह हो सके।

मंत्रिमंडल के अनुसार, देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में कुछ पायलट प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की जाएगी, जिन्हें राज्यों की भागीदारी और वित्तीय योगदान के आधार पर लागू किया जाएगा। इन प्रोजेक्ट्स के दौरान जो अनुभव और खामियां सामने आएंगी, उन्हें ध्यान में रखते हुए अप्रैल 2026 से एक राष्ट्रीय योजना की नींव रखी जाएगी।

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस योजना को जमीनी स्तर पर ठीक तरह से लागू किया गया, तो न केवल सिंचाई की पुरानी समस्याएं हल हो सकती हैं, बल्कि युवाओं के लिए भी खेती एक आधुनिक और आकर्षक विकल्प बन सकती है।

फिलहाल, यह देखना अहम होगा कि योजना को लागू करने में कितनी तत्परता और पारदर्शिता दिखाई जाती है, ताकि इसका लाभ वास्तव में खेतों तक पहुंचे।

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