State News (राज्य कृषि समाचार)

अगले पांच वर्षों में 2 लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना होगी

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18 फरवरी 2023, नई दिल्ली: अगले पांच वर्षों में 2 लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना होगी – प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूती प्रदान करने और इसकी पहुंच को जमीनी स्तर तक व्‍यापक बनाने को मंजूरी दी है। गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के समन्वय के माध्यम से ‘संपूर्ण-सरकार’ वाले दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस),  डेयरी सहकारी समितियां  , मत्स्य सहकारी समितियों की स्‍थापना करने और मौजूदा समितियों को मजबूती प्रदान करने की योजना तैयार की है। प्रारंभ में, अगले पांच वर्षों में 2 लाख पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा कार्य योजना तैयार की जाएगी।

चालू योजना के तहत समन्वय के लिए इन योजनाओं की पहचान की गई है:

पशुपालन और डेयरी विभाग:

i. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), और

ii. डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ)

मत्स्य पालन विभाग:

i. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), और

ii. मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ)

यह योजना देश भर में सदस्य किसानों को उनकी उपज का विपणन करने, उनकी आय बढ़ाने, ग्राम स्‍तर पर ही ऋण सुविधाएं और अन्य सेवाएं प्राप्‍त करने के लिए आवश्यक फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज प्रदान करेगी।

सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में कृषि और किसान कल्याण मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है, जिसमें संबंधित सचिव; अध्यक्ष नाबार्ड, एनडीडीबी और एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी को सदस्यों के रूप में शामिल किया गया

मंत्रालय द्वारा पीएसीएस के आदर्श उपनियम उन्हें 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां करने में सक्षम बनाएंगे, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, खाद्यान्नों, उर्वरकों, बीजों को खरीदने, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीजल वितरक, अल्पावधि और दीर्घकालिक ऋण, कस्टम हायरिंग सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर,  आदि शामिल हैं। ये मॉडल उपनियम 5 जनवरी, 2023 को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे जा चुके है, ताकि पीएसीएस द्वारा संबंधित राज्य सहकारी अधिनियमों के अनुसार उपयुक्त परिवर्तन करने के बाद उन्‍हें स्‍वीकार किया जा सके।

सहकारी समितिया एक नज़र में

प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) की संख्या लगभग 98,995 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या 13 करोड़ है। इन्हें नाबार्ड द्वारा 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) और 34 राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) के माध्यम से पुन: वित्‍त पोषित किया गया है।

डेयरी सहकारी समितियों की संख्‍या लगभग 1,99,182 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग 1.5 करोड़ हैं, और ये किसानों से दूध की खरीद करने, सदस्‍यों को दूध परीक्षण सुविधाएं, पशु चारा बिक्री, विस्तार सेवाएं आदि देती  हैं।

मत्स्य सहकारी समितियों की संख्‍या लगभग 25,297 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग 38 लाख है, और ये समाज के सबसे हाशिए वाले वर्गों में से एक की जरूरतों को पूरा करती हैं, उन्हें विपणन सुविधाएं प्रदान करती हैं, मछली पकड़ने के उपकरण, मछली के बीज और चारे की खरीद में सहायता करती हैं तथा सदस्‍यों को सीमित पैमाने पर ऋण सुविधाएं भी प्रदान करती हैं।

यद्यपि 1.6 लाख पंचायतों में अभी तक पीएसीएस नहीं हैं और लगभग 2 लाख पंचायतों में डेयरी सहकारी समिति नहीं है। देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में इन प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने, जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को व्‍यापक बनाने और वितरण संबंधी समस्‍याओं के समाधान के लिए सभी पंचायतों/गांवों को इन समितियों के दायरे में लाने की दिशा में ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है।

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