State News (राज्य कृषि समाचार)

हरियाणा में वर्ष 2022-23 में स्थापित की जाएंगी 10 हाई-टेक नर्सरियां  

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  • 2070 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण के अलावा 600 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक तरीके से वन संपदा के रिजनरेशन को दिया जाएगा बढ़ावा
  • मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा राज्य वन कैम्पा प्राधिकरण की स्टीयरिंग कमेटी की 5वीं बैठक
  • वर्ष 2022-23 की 282 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को दी गई मंजूरी

28 मई 2022, चंडीगढ़: पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत हरियाणा में वन क्षेत्र और ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए इस वर्ष 2070 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण किया जाएगा तथा 10 हाई-टेक नर्सरियों की स्थापना भी की जाएगी। इसके अलावा, 600 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक तरीके से वन संपदा के रिजनरेशन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निरंतर अथक प्रयास कर रही है। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप हरियाणा देश में एग्रो फॉरेस्ट्री के मामले में भी अग्रणी राज्य बना है।

मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज यहाँ इस संबंध में हरियाणा राज्य वन कैम्पा (प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण की स्टीयरिंग कमेटी की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण के लिए वन क्षेत्रों का सर्वेक्षण और मानचित्रण, प्रतिपूरक वनरोपण कार्य, मिट्टी और नमी संरक्षण, वन्यजीव प्रबंधन के लिए लगभग 282 करोड़ रुपये की वर्ष 2022-23 की वार्षिक योजना को मंजूरी प्रदान की गई।

श्री संजीव कौशल ने निर्देश दिए कि प्राकृतिक तरीके से फॉरेस्ट/ वन संपदा के रिजनरेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, तदनुसार आर्टिफिशियल फॉरेस्टेशन रिजनरेशन को अमल में लाया जाए। इसके अलावा, पड़ोसी राज्यों में किये जा रहे पर्यावरण संरक्षण के कार्यों का भी अध्ययन किया जाये ताकि बेस्ट प्रैक्टिस को हरियाणा में लागू किया जा सके।

राज्य में की जाएगी 10 हाई-टेक नर्सरियों की स्थापना

बैठक में बताया गया कि वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य में कम से कम 10 हाई-टेक नर्सरियों की स्थापना की जाएगी, जिस पर 35 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इसके अलावा, मॉडर्न नर्सरियों की स्थापना, उन्नयन और रख-रखाव के लिए भी विभिन्न गतिविधियां की जाएंगी, जिस पर 3 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

वन क्षेत्र में मिट्टी और नमी संरक्षण पर दिया जाएगा जोर

बैठक में बताया गया कि राज्य के उत्तरी भाग में शिवालिक और दक्षिणी भाग में अरावली क्षेत्र पहाड़ी व लहरदार स्थलाकृति के कारण बारिश का पानी का संचयन संभव नहीं हो पाता और पानी के बहाव के कारण मिट्टी के कटाव के रूप में ऊपरी मिट्टी का नुकसान होता है और भूजल पुनर्भरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए, मिट्टी के संरक्षण के उपाय जैसे मिट्टी के बांधों का निर्माण, चिनाई वाली संरचनाएं, सीमेंट कंक्रीट की संरचनाएं, चैक डैम, सिल्ट डिटेंशन डैम और क्रेट वायर स्ट्रक्चर आदि बनाए जाएंगे, जिसके लिए 20 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

वन्यजीवों के संरक्षण और बेहतर प्रबंधन के लिए की जाएगी विशेष गतिविधियाँ

मुख्य सचिव को अवगत कराया गया कि राज्य में 2 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्यजीव अभ्यारण्य, 2 कंजर्वेशन रिजर्व और 5 सामुदायिक रिजर्व हैं। वन्यजीवों के अनुकूल वातावरण के लिए कच्चे तालाब का निर्माण, खरपतवार और लैंटाना को हटाना, रेत के टीले का निर्माण, संरक्षित क्षेत्रों में देशी प्रजातियों के रोपण और घास के मैदानों के विकास जैसी विभिन्न गतिविधियां की जाएंगी। इसके अलावा, राज्य में वन्यजीवों के संरक्षण और बेहतर प्रबंधन के लिए, पक्षियों के लिए एवियरी का निर्माण, सरीसृपों के लिए आश्रय, पक्षी उपचार केंद्र और फीडिंग प्लेटफॉर्म जैसी बुनियादी ढांचे भी बनाए जाएंगे, इसके लिए 4 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
इसके अलावा,  गाँवों में लकड़ी बचाने हेतु खाना पकाने के उपकरणों, बायोमास आधारित लकड़ी की प्लेटों और अन्य वन उपज बचाने वाले उपकरणों की आपूर्ति के लिए भी 20 लाख रुपये खर्च किये जाएंगे।

बैठक में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तैनात फ्रंट लाइन कर्मचारियों के लिए जंगलों में आवासीय और आधिकारिक भवनों के निर्माण को भी मंजूरी प्रदान की गई। इस पर लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा वित्त आयुक्त श्री पी के दास, मत्स्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अशोक खेमका, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री ए के सिंह, भारत सरकार के विशिष्ट प्रतिनिधि सहित वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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