राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

अंडमान और लक्षद्वीप बनेंगे मत्स्य पालन का हब? पीएम मोदी ने दिए संकेत

03 मार्च 2025, नई दिल्ली: अंडमान और लक्षद्वीप बनेंगे मत्स्य पालन का हब? पीएम मोदी ने दिए संकेत – केंद्र सरकार के बजट के बाद आयोजित “कृषि और ग्रामीण समृद्धि” वेबिनार में विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को लेकर चर्चा हुई। इस आयोजन में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएचएंडडी) और पंचायती राज मंत्रालय के मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह और इसमें मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, उद्योग विशेषज्ञों और मत्स्य संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि और ग्रामीण समृद्धि पर बजट के बाद आयोजित वेबिनार में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के 2019 से लागू किए गए परिवर्तनकारी प्रभावों पर प्रकाश डाला, जिससे मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूती मिली है, उत्पादन दोगुना हुआ है और इस क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा मिला है। उन्होंने रणनीतिक कार्य योजना के माध्यम से विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और उच्च समुद्र में स्थायी मत्स्य पालन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। तेजी से क्रियान्वयन का आग्रह करते हुए उन्होंने हितधारकों से व्यापार करने में आसानी के लिए नए विचारों की खोज करने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ाने का आह्वान किया।

अंडमान और लक्षद्वीप के लिए विशेष रणनीति

मत्स्य विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में हुए एक विशेष सत्र में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को लेकर चर्चा की गई। सरकार इन द्वीपों को मत्स्य केंद्र के रूप में विकसित करने और स्थानीय समुदायों को इसमें शामिल करने की योजना बना रही है। इसके तहत बुनियादी ढांचे में सुधार, मछुआरों के लिए ऋण सुविधा और टिकाऊ मत्स्य प्रबंधन पर ध्यान दिया जाएगा।

गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए योजनाएं

सत्र में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए नई तकनीकों, स्मार्ट हार्बर निर्माण, पोत डिजाइनिंग, मूल्य संवर्धन और निर्यात बढ़ाने पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने टिकाऊ अपतटीय प्रौद्योगिकियों और मछली पालन सहकारी समितियों के लिए वित्तीय सहायता पर विचार रखा।

सरकार का कहना है कि भारत के पास 2.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र है, जिसमें समुद्री संसाधनों का बड़ा भंडार मौजूद है। इस क्षेत्र में मत्स्य पालन से आर्थिक अवसरों को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए पर्यावरणीय संतुलन और स्थिरता को प्राथमिकता देनी होगी।

क्या होगा आगे?

इस वेबिनार में हितधारकों ने सुझाव दिए कि भारत के समुद्री संसाधनों का उपयोग संगठित और टिकाऊ तरीके से होना चाहिए। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस दिशा में मजबूत नीतियां और बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए, तो यह क्षेत्र मछुआरों की आय बढ़ाने और निर्यात को मजबूती देने में सहायक हो सकता है।

हालांकि, अंडमान और लक्षद्वीप जैसे क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित करना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना एक चुनौती होगी। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप टिकाऊ मत्स्य प्रबंधन भी अहम रहेगा।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements