राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

केंद्र सरकार ने पीएम-आशा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी, किसानों को मिलेगा लाभकारी मूल्य

19 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पीएम-आशा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी, किसानों को मिलेगा लाभकारी मूल्य – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता लाना है।

सरकार ने इस योजना के तहत वर्ष 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। पीएम-आशा में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) जैसे घटक शामिल हैं, जो किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने में मदद करेंगे।

तुअरउड़द और मसूर की 100% खरीद

मूल्य समर्थन योजना के तहत एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद 2024-25 मौसम से इन अधिसूचित फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत होगी, जिससे राज्यों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और संकटपूर्ण बिक्री को रोकने के लिए किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी। हालाँकि, 2024-25 मौसम के लिए तुअर, उड़द और मसूर के मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी क्योंकि 2024-25 मौसम के दौरान तुअर, उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद होगी जैसा कि पहले फैसला किया गया था।

दालों और प्याज के भंडार पर जोर

सरकार ने एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए किसानों से मौजूदा सरकारी गारंटी का नवीनीकरण करते हुए उसे बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू) को किसानों से एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसान भी शामिल हैं, जब बाजार में कीमतें एमएसपी से नीचे गिरती हैं। इससे किसान देश में इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरित होंगे और इन फसलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने में योगदान देंगे, जिससे घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी।

मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के विस्तार से दालों और प्याज के रणनीतिक सुरक्षित भंडार को बनाए रखने, जमाखोरी करने वालों और विवेकहीन अटकलें लगाने वालों को हतोत्साहित करने और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर आपूर्ति करने के लिए कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से बचाने में मदद मिलेगी। जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से ऊपर होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) द्वारा की जाएगी, जिसमें नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसान भी शामिल होंगे। सुरक्षित भंडार के रखरखाव के अलावा, पीएसएफ योजना के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में किया गया है।

राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है और किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को 3 महीने से बढ़ाकर 4 महीने कर दिया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले एमएसपी और बिक्री/मॉडल मूल्य के बीच अंतर का मुआवजा एमएसपी के 15 प्रतिशत तक सीमित है।

परिवर्तनों के साथ बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के कार्यान्वयन का विस्तार खराब होने वाली बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करेगा। सरकार ने कवरेज को उपज के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है और एमआईएस के तहत उपज की खरीद के बजाय किसानों के खाते में सीधे अंतर संबंधी भुगतान करने का एक नया विकल्प जोड़ा है। इसके अलावा, टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में, सबसे अधिक कटाई के समय पर उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी केन्द्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए परिवहन और भंडारण व्यय को वहन करने का निर्णय लिया है, जिससे न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा, बल्कि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए टीओपी फसलों की कीमतों में भी नरमी देखने को मिलेगी।

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