राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भारतीय बाजारों में चीनी लहसुन की आवक चिंताजनक

16 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: भारतीय बाजारों में चीनी लहसुन की आवक चिंताजनक – पिछले सप्ताह मध्यप्रदेश के इंदौर, शाजापुर, नीमच और मंदसौर के लहसुन उत्पादक किसानों और लहसुन के व्यापारियों ने मंडियों में चीनी लहसुन की बिक्री किए जाने की खबर को लेकर हड़ताल की थी। इसी तरह हाल ही में गुजरात के गोंडल कृषि उत्पाद बाजार सहकारी में भी चीनी लहसुन के अनेक कट्टे मिलने से किसानों और व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। राजस्थान की मंडियों में भी लहसुन की आवक कम हो गई है जिसके कारण दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इन सबके बीच अब चोरी-छुपे चीनी लहसुन की बिक्री से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। व्यापारियों को भी इसका नुकसान हो रहा है। यह केवल मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान में ही नहीं हो रहा है बल्कि पूरे देश में चीनी लहसुन चोरी छुपे बेची जा रही है। चूंकि अभी उपभोक्ता तो केवल लहसुन को उसके आकार और रंग देखकर ही उसकी गुणवत्ता के बारे में अंदाजा लगाता है लेकिन अधिकांश उपभोक्ता देशी और चीनी लहसुन के गुण – दोषों के बारे में नहीं जानते हैं। यदि उनके सामने दोनों लहसुन रख दी जाये तो उन्हें पहचानना कठिन हो जायेगा। और इसी का फायदा उठाकर तस्कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। चीनी लहसुन सस्ती होती है जिसका फायदा उपभोक्ताओं को निश्चित ही होता है। चीनी लहसुन आकार में थोड़ी छोटी लेकिन हल्की सफ़ेद और गुलाबी रंग की होती हैं। इसमें 5-6 बड़े आकार की कलियां होती हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि इस लहसुन में भारत की लहसुन की तुलना में स्वाद और गंध बहुत कम होती है। इसमें औषधीय गुण भी नहीं होते हैं। इसके गुण-दोष की जानकारी के बिना इसका उपयोग करना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकता है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि चीनी लहसुन का उत्पादन कृषि की आधुनिक तकनीक से किया जाता है जिसमें कीटनाशकों और रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण यह स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकती है। चीनी लहसुन में सिंथेटिक की मात्रा होने के बारे में भी मीडिया में खबरें प्रकाशित हुई हैं। यदि ये सही है तो सिंथेटिक पदार्थ उपभोक्ताओं के लिए गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। चीनी लहसुन में हानिकारक तत्व पाए जाते हैं। लहसुन को सफेद रंग देने के लिए उसे क्लोरीनयुक्त किया जाता है, ताकि यह बिल्कुल सफेद हो और पहली नजर में हर किसी को पसंद आ जाए। इसके अलावा चीनी लहसुन में जिंक और आर्सेनिक जैसी हानिकारक धातुएं भी होती हैं, जिसे विज्ञान की भाषा में कार्सिनोजेन कहा जाता है। कई शोधों से यह भी पता चला है कि यह कार्सिनोजेन ही कैंसर का कारण होता है। बच्चों में क्लोरीन और आर्सेनिक युक्त चीनी लहसुन खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके विपरीत, भारतीय लहसुन को कीटनाशकों और उर्वरकों के न्यूनतम उपयोग के साथ उगाया जाता है, जिसमें प्राकृतिक खेती के तरीकों को प्राथमिकता दी जाती है। लहसुन भारतीय परिवारों की रसोई का एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है और इसका औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

भारत में सन् 2014 से ही चीनी लहसुन के आयात और भारतीय बाजारों में विक्रय पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद भारतीय बाजारों में चीनी लहसुन चोरी-छुपे बेची जा रही है। प्रतिबंध के बावजूद भारतीय बाजार में चीनी लहसुन का विक्रय होना खुफिया और प्रशासनिक तंत्र की नाकामी कहा जाना चाहिए। यह लहसुन निश्चित ही पड़ोसी देशों की सीमाओं से आ रही होगी। चोरी-छुपे भारत में बड़ी मात्रा में चीनी लहसुन की पहुंच कई सवाल खड़े करती है। चीनी लहसुन के अलावा और क्या-क्या चोरी छुपे भारत में लाया जा रहा है, इसकी गहन जांच की आवश्यकता है। यह देश की सुरक्षा और नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ सीधा मामला है। इस संबंध में सरकार को कड़ाई से पहल करनी होगी अन्यथा भारतीयों का स्वास्थ्य और सुरक्षा, दोनों ही खतरे में पड़ सकती है।

लहसुन के व्यापारियों की जिम्मेदारी है कि वे आम उपभोक्ताओं को देशी और चीनी लहसुन की पहचान, गुण – दोष और इनसे होने वाले फायदे – नुकसान के बारे में बताने के लिये अभियान चलाये ताकि देश में उत्पादित लहसुन की उपज का किसानों को उचित दाम मिले और उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य भी ठीक रहे। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों को भी पहल करनी चाहिये। क्योंकि कार्रवाई करने का अधिकार तो उनके पास ही है।]

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