तापी बेसिन मेगा प्रोजेक्ट: दो राज्यों के 3.5 लाख हेक्टेयर खेतों में आएगा पानी
12 मई 2025, भोपाल: तापी बेसिन मेगा प्रोजेक्ट: दो राज्यों के 3.5 लाख हेक्टेयर खेतों में आएगा पानी – मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र ने मिलकर “तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना” के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. शनिवार को भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस परियोजना के लिए समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए भूजल पुनर्भरण और सिंचाई के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करने का दावा करती है.
परियोजना का उद्देश्य और महत्व
तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना का लक्ष्य मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के विशाल क्षेत्रों में भूजल स्तर को बढ़ाना और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना है. इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 1,23,082 हेक्टेयर और महाराष्ट्र के 2,34,706 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी. खास तौर पर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर और खंडवा जिलों की बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा तहसीलें इससे लाभान्वित होंगी.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “यह परियोजना विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंडवॉटर रीचार्ज परियोजना है, जो निमाड़ क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी साबित होगी.” वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे “विश्व की सबसे बड़ी वॉटर रीचार्ज स्कीम” बताते हुए कहा कि यह दोनों राज्यों के लाखों किसानों के लिए लाभकारी होगी.
परियोजना की प्रमुख संरचनाएं
परियोजना में चार प्रमुख जल संरचनाओं का निर्माण प्रस्तावित है:
- खरिया गुटीघाट बांध स्थल पर लो डायवर्सन वियर: यह वियर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की खालवा तहसील और महाराष्ट्र की अमरावती तहसील में बनाया जाएगा. इसकी जल भंडारण क्षमता 8.31 टीएमसी होगी.
- दाईं तट नहर (प्रथम चरण): खरिया गुटीघाट वियर के दाएं तट से 221 किलोमीटर लंबी नहर बनेगी, जिसमें मध्य प्रदेश में 110 किलोमीटर हिस्सा होगा. यह नहर मध्य प्रदेश के 55,089 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करेगी.
- बाईं तट नहर (प्रथम चरण): वियर के बाएं तट से 135.64 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है, जिसमें मध्य प्रदेश में 100.42 किलोमीटर हिस्सा होगा. यह 44,993 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा देगी.
- बाईं तट नहर (द्वितीय चरण): यह 123.97 किलोमीटर लंबी नहर 14 किलोमीटर लंबी टनल के माध्यम से प्रवाहित होगी और महाराष्ट्र के 80,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करेगी.
अंतर्राज्यीय सहयोग और चुनौतियां
यह परियोजना मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच लंबे समय से रुकी हुई अंतर्राज्यीय परियोजनाओं में से एक है. दोनों राज्यों ने अब भारत सरकार से इसे राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के रूप में स्वीकृति देने का अनुरोध करने का फैसला किया है. यदि स्वीकृति मिलती है, तो केंद्र सरकार परियोजना लागत का 90% हिस्सा वहन कर सकती है, जैसा कि केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाओं के मामले में हुआ है.
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अंतर्राज्यीय परियोजनाओं में समन्वय, पर्यावरणीय प्रभाव और लागत प्रबंधन जैसी चुनौतियां बनी रहती हैं. तापी बेसिन के “बजाडा जोन” में भूजल रीचार्ज की अद्भुत क्षमता होने के बावजूद, परियोजना की सफलता कार्यान्वयन की गति और गुणवत्ता पर निर्भर करेगी.
भोपाल में आयोजित “मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल” की 28वीं बैठक में तापी बेसिन परियोजना के अलावा बाणगंगा नदी पर डांगुरली बैराज, बाघ नदी पर वियर और लावाघोघरी-तोतलाडोह जल विनिमय योजना पर भी चर्चा हुई. इन परियोजनाओं पर दोनों राज्यों के बीच सैद्धांतिक सहमति बनी है. अगली बैठक अक्टूबर 2025 में महाराष्ट्र में होगी, जिसमें इन योजनाओं को और गति देने पर विचार किया जाएगा.
भविष्य की संभावनाएं
तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना न केवल भूजल संरक्षण के लिए बल्कि दोनों राज्यों के किसानों की आजीविका सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. हालांकि, परियोजना की समयबद्ध पूर्णता और इसके पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन भविष्य में इसकी सफलता को निर्धारित करेगा.
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