फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों पर सब्सिडी: किसानों को कैसे मिल रही है मदद?
02 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों पर सब्सिडी: किसानों को कैसे मिल रही है मदद? – देश में किसानों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना, नई निवेश नीति (एनआईपी), स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा और उर्वरकों की आपूर्ति में सुधार शामिल हैं। केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में इस संबंध में जानकारी दी।
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए फॉस्फेटिक और पोटाशिक (पीएंडके) उर्वरकों के लिए सब्सिडी दरें तय की हैं। खरीफ 2024 के दौरान डीएपी पर प्रति मीट्रिक टन सब्सिडी 21,676 रुपये थी, जिसे रबी 2024-25 में बढ़ाकर 21,911 रुपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, किसानों को किफायती दरों पर डीएपी उपलब्ध कराने के लिए 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की विशेष सब्सिडी दी गई है। इस कदम पर सरकार द्वारा 2,625 करोड़ रुपये का व्यय किया जा रहा है।
यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर प्रयास
सरकार ने यूरिया क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2013 में नई निवेश नीति (एनआईपी) और 2014 में इसमें संशोधन किया। इस नीति के अंतर्गत देश में छह नई यूरिया इकाइयां स्थापित की गई हैं। इनमें से चार इकाइयां सार्वजनिक उपक्रमों की संयुक्त उद्यम कंपनियों के माध्यम से और दो इकाइयां निजी कंपनियों द्वारा स्थापित की गई हैं।
इन इकाइयों के जरिये कुल 76.2 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष की उत्पादन क्षमता जुड़ी है। नतीजतन, देश की स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता 2014-15 के 207.54 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष से बढ़कर 2023-24 में 283.74 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो गई है।
इसके अलावा, कोयला गैसीकरण तकनीक का उपयोग करते हुए तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के माध्यम से एक नई ग्रीनफील्ड यूरिया इकाई स्थापित की जा रही है। इस परियोजना से उत्पादन और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों में सुधार की उम्मीद है।
स्वदेशी उर्वरकों का उत्पादन और बढ़ावा
सरकार ने गुड़ से प्राप्त पोटाश (पीडीएम) को बढ़ावा देने के लिए इसे 2021 से एनबीएस योजना के अंतर्गत अधिसूचित किया है। इसी प्रकार, सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) पर माल ढुलाई सब्सिडी भी लागू की गई है ताकि मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी को दूर किया जा सके। इन प्रयासों से पीएंडके उर्वरकों का उत्पादन 2014-15 के 159.54 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 182.85 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
यूरिया के 45 किलो के बैग का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 242 रुपये निर्धारित है। इसके अतिरिक्त, खेतों तक यूरिया की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लागत और बिक्री मूल्य के बीच अंतर सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन किया जाता है।
सरकार ने 2015 में नई यूरिया नीति (एनयूपी) लागू की, जिससे उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ। 2014-15 में यूरिया का उत्पादन 225 लाख मीट्रिक टन था, जो 2023-24 में बढ़कर 314.07 लाख मीट्रिक टन हो गया है।
सरकार का मुख्य उद्देश्य उर्वरकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। नई योजनाओं और नीतियों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
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