राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

पूसा कृषि मेला: 79 नई फसल किस्मों और आधुनिक तकनीकों की झलक

26 मार्च 2025, नई दिल्ली: पूसा कृषि मेला: 79 नई फसल किस्मों और आधुनिक तकनीकों की झलक – पूसा कृषि विज्ञान मेले 2025 में इस बार किसानों को नई किस्मों और उन्नत तकनीकों से रूबरू होने का मौका मिला। 22 से 24 फरवरी तक चले इस मेले में 79 नई फसल किस्मों के साथ 11 फलों और 31 सब्जियों की उन्नत प्रजातियां प्रदर्शित की गईं। इसके अलावा, जैव-उर्वरकों, मृदा परीक्षण तकनीकों और आधुनिक कृषि उपकरणों पर भी जानकारी दी गई, जिससे किसान अपनी खेती को ज्यादा लाभदायक बना सकें।

मेले में कृषि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने कई नई तकनीकें पेश कीं। इनमें जिंक-लोडेड नैनो क्ले पॉलीमर कंपोजिट, स्पीडीसीड वायबिलिटी किट और ब्रुचिड प्रबंधन के लिए पॉलिमर कंपोजिट सीड कोटिंग जैसी तकनीकें शामिल थीं। इसके अलावापुमेलो के छिलकों और चावल की भूसी से निकाले गए नैनोसेल्यूलोज, मटर की फली के पाउडर से बने इंस्टेंट नूडल्स और केले के पाउडर से तैयार स्नैक्स व मफिन जैसे उत्पादों पर भी शोध साझा किया गया।

इस बार मेले में किसानों, उद्यमियों और कृषि से जुड़े युवाओं के लिए सात तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में जलवायु अनुकूल खेती, फसल विविधीकरण, डिजिटल कृषि, कृषि विपणन और निर्यात, एफपीओ-स्टार्टअप लिंकेज, उद्यमिता विकास और नवाचार जैसे अहम विषयों पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने किसानों को नई तकनीकों और बाज़ार से जुड़ने के आधुनिक तरीकों की जानकारी दी।

245 स्टॉलसस्ती दरों पर 1800 क्विंटल बीज उपलब्ध

मेले में आईसीएआर-आईएआरआई, कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके, एफपीओ, उद्यमियों और स्टार्टअप्स सहित कई संस्थानों के 245 स्टॉल लगाए गए। किसानों के लिए धान, मूंग, अरहर, बाजरा और सब्जियों के 1800 क्विंटल से ज्यादा बीज सस्ती दरों पर उपलब्ध कराए गए। साथ ही, मौके पर ही विशेषज्ञों ने किसानों को खेती में आने वाली समस्याओं और उनके समाधानों पर परामर्श दिया।

कार्यक्रम के दौरान ‘कृषि चौपाल– विज्ञान से किसान तक’ पहल की घोषणा की गई। इस पहल के तहत आईएआरआई पुरस्कार विजेता और नवाचार करने वाले किसानों की भागीदारी से नई तकनीकों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा ताकि किसान वैज्ञानिक तरीकों से खेती कर सकें।

हर साल पूसा कृषि मेला किसानों और वैज्ञानिकों के बीच संवाद का एक बड़ा मंच बनता जा रहा है। यहां नई तकनीकों और किस्मों की जानकारी तो दी जाती है, लेकिन असल चुनौती उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की होती है। छोटे किसानों तक ये नवाचार कब और कैसे पहुंचेंगे, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। फिलहाल, ऐसी उम्मीद जरूर की जा रही है कि इस बार प्रदर्शित तकनीकों और बीजों से किसानों को फायदा मिलेगा और उनकी पैदावार बढ़ सकेगी।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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