पंजाब सरकार ने बासमती धान पर 11 कीटनाशकों के उपयोग पर लगाई अस्थायी रोक, 1 अगस्त से 60 दिनों तक रहेगा प्रभावी
23 मई 2025, चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने बासमती धान पर 11 कीटनाशकों के उपयोग पर लगाई अस्थायी रोक, 1 अगस्त से 60 दिनों तक रहेगा प्रभावी – पंजाब सरकार ने बासमती चावल की गुणवत्ता को बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय निर्यात बाधाओं से बचने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने 11 कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग पर 60 दिनों की अस्थायी रोक लगाने का आदेश जारी किया है। यह रोक 1 अगस्त 2025 से प्रभाव में आएगी और 30 सितंबर 2025 तक लागू रहेगी।
हालांकि इस निर्णय की अधिसूचना पंजाब राजपत्र में 10 मई 2025 को प्रकाशित हुई थी, इसका प्रभावी क्रियान्वयन अगस्त से होगा, ताकि किसान और कृषि-इनपुट विक्रेता आवश्यक तैयारी कर सकें।
कृषि और किसान कल्याण विभाग की ओर से 9 मई को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ये कीटनाशक बासमती चावल में अवशेष स्तर (MRL) से अधिक मात्रा में कीटनाशक अवशेष छोड़ सकते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन होता है और निर्यात को खतरा हो सकता है।
पंजाब राइस मिलर्स और एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार को जानकारी दी थी कि उन्होंने जिन बासमती के नमूनों की जांच कराई, उनमें इन कीटनाशकों के अवशेष MRL सीमा से काफी अधिक पाए गए हैं। संगठन ने बासमती की विरासत को बचाने और विदेशी बाजारों में इसके निर्यात को सुचारु रखने के लिए इन रसायनों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी।
इसके साथ ही पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना ने बासमती फसलों में कीट नियंत्रण के लिए सुरक्षित और कम अवशेष छोड़ने वाले वैकल्पिक रसायनों की सिफारिश की है, जिससे किसानों के लिए विकल्प की कोई कमी नहीं होगी।
जिन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है, वे हैं: एसेफेट, बुप्रोफेज़िन, क्लोरोपायरीफॉस, प्रोपिकोनाज़ोल, थायमेथोक्सम, प्रोफेनोफॉस, कार्बेन्डाज़िम, ट्राइसायक्लाज़ोल, टेबुकोनाज़ोल, कार्बोफ्यूरान और इमिडाक्लोप्रिड। ये कीटनाशक पहले बासमती में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते थे, लेकिन अब इन्हें गुणवत्ता और निर्यात में बाधा के रूप में देखा जा रहा है।
यह प्रतिबंध कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 27 के तहत लागू किया गया है। अधिसूचना में राज्यपाल द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अंतर्गत इन कीटनाशकों की सभी प्रकार की तैयारियों को बासमती फसल पर उपयोग करने से मना किया गया है।
कृषि और किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने अधिसूचना में स्पष्ट किया कि यह कदम पंजाब की बासमती फसल को अवशेष मुक्त और उच्च गुणवत्ता वाला बनाने के लिए आवश्यक है, ताकि राज्य का बासमती चावल वैश्विक बाजार में बिना किसी रुकावट के निर्यात किया जा सके।
राज्य सरकार का यह निर्णय कृषि निर्यात को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पंजाब के बासमती की साख बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। किसान भाइयों से आग्रह है कि वे अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञों से संपर्क कर वैकल्पिक रसायनों की जानकारी प्राप्त करें।
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