प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन 2024 का उद्घाटन, नई सहकारी नीति का हुआ ऐलान
27 नवंबर 2024, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन 2024 का उद्घाटन, नई सहकारी नीति का हुआ ऐलान – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत मंडपम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (ICA) के अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन- 2024 का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ किया और स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। इस समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, भूटान के प्रधानमंत्री, फ़िजी के उप-प्रधानमंत्री, ICA के अध्यक्ष और सहकारिता मंत्रालय के सचिव सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित करना दुनिया भर के गरीबों और किसानों के लिए एक नई उम्मीद का संदेश है। उन्होंने ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को दोहराते हुए कहा कि यह सहकारी आंदोलन के माध्यम से ग्रामीण भारत, महिलाओं और किसानों की आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस मौके पर सहकारिता क्षेत्र में बीते तीन वर्षों की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन आजादी के 75 साल बाद एक नए जोश के साथ आगे बढ़ रहा है। “प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता क्षेत्र को कानूनी, तकनीकी और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं,” उन्होंने कहा।
सहकारिता का हर गांव तक विस्तार
श्री शाह ने बताया कि सरकार की योजना है कि अगले तीन वर्षों में देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था हो। इसके लिए 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का गठन किया जाएगा। इसके साथ ही PACS को तकनीकी रूप से सक्षम और आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के प्रयास भी जारी हैं।
कृषकों को वैश्विक बाजार तक पहुंच
राष्ट्रीय स्तर पर बनाई गई तीन नई सहकारी समितियों– राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), भारतीय राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL), और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) – के माध्यम से भारतीय किसानों को न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि सहकारिता के भारतीय मॉडल को वैश्विक मंच पर एक प्रेरणा के रूप में स्थापित करेगा।
नई सहकारी नीति की तैयारी
श्री शाह ने बताया कि 2025 में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान एक नई सहकारी नीति लाई जाएगी। यह नीति सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा देने और इसे ग्रामीण भारत के विकास का मजबूत आधार बनाने में सहायक होगी।
कार्यक्रम में सहकारिता क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही सहकारिता विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा की गई। अमित शाह ने कहा कि यह विश्वविद्यालय तकनीकी और व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने का केंद्र बनेगा।
कार्यक्रम के दौरान सहकारिता के माध्यम से महिलाओं और किसानों के सशक्तिकरण पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी संस्थाओं के माध्यम से गांव-गांव तक विकास की रफ्तार पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सहकारिता से जुड़े प्रयासों के जरिए देश के ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है।
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