आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: कृषि क्षेत्र की स्थिर वृद्धि, MSP और सिंचाई में निवेश बढ़ा
01 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: कृषि क्षेत्र की स्थिर वृद्धि, MSP और सिंचाई में निवेश बढ़ा – भारतीय कृषि क्षेत्र ने हाल के वर्षों में मजबूती दिखाई है, जिसका उल्लेख आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का सकल मूल्य वर्धन (GVA) वित्त वर्ष 2015 में 24.38% से बढ़कर 2023 में 30.23% हो गया है। कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017 से 2023 के बीच 5% रही, जबकि 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह 3.5% दर्ज की गई।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारतीय कृषि का देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान बना हुआ है। कृषि का समग्र अर्थव्यवस्था में GVA योगदान 20% है, जिससे कुल GVA वृद्धि में 1% की हिस्सेदारी होती है। इसके अलावा, पिछले एक दशक में कृषि आय में औसतन 5.23% की वार्षिक वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और बाजार अस्थिरता जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।
खरीफ उत्पादन में बढ़ोतरी, MSP में बढ़ी सहायता
कृषि क्षेत्र की स्थिरता को दर्शाते हुए, आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 में खरीफ फसलों का उत्पादन 1647.05 लाख मीट्रिक टन (LMT) तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 89.37 LMT अधिक है। यह वृद्धि सरकार द्वारा समर्थन नीतियों और तकनीकी सुधारों का परिणाम मानी जा रही है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नीति के तहत किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने के लिए सरकार ने कई फसलों के MSP में वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2025 के लिए अरहर (तूर दाल) के MSP में 59%, बाजरा में 77%, मसूर (लाल दाल) में 89% और रेपसीड-सरसों के MSP में 98% की बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा, पोषण अनाजों (श्री अन्ना), जैसे ज्वार, रागी और कुटकी के समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी की गई है, जिससे इन फसलों को अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। MSP में इस वृद्धि का उद्देश्य किसानों को उत्पादन लागत से अधिक लाभ दिलाना और उन्हें बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करना है।
सिंचाई और जल संरक्षण में निवेश, “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” योजना का विस्तार
सरकार ने सिंचाई सुविधाओं में सुधार और जल संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” (PDMC) योजना को लागू किया है। 2016 से 2024 के बीच इस योजना के तहत ₹21,968.75 करोड़ जारी किए गए, जिससे 95.58 लाख हेक्टेयर भूमि को कवर किया गया। इस पहल का उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) को बढ़ावा देकर जल उपयोग दक्षता में सुधार करना है।
इसके अतिरिक्त, माइक्रो इरिगेशन फंड (MIF) के तहत राज्यों को 2% ब्याज सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस फंड के तहत ₹4,709 करोड़ के ऋण स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से ₹3,640 करोड़ वितरित हो चुके हैं। सरकार का मानना है कि इस निवेश से जल संकट वाले क्षेत्रों में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी और किसानों को उनकी जल आवश्यकताओं के अनुसार अधिकतम लाभ मिलेगा।
फूलों और अंगूर के निर्यात में उछाल, तकनीकी उन्नयन से लाभ
भारतीय पुष्पकृषि (फ्लोरीकल्चर) उद्योग ने निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। अप्रैल-अक्टूबर 2024-25 की अवधि में इस क्षेत्र में 14.55% की वृद्धि हुई है। 2024 में भारत ने 19,678 मीट्रिक टन फूलों का निर्यात किया, जिससे ₹717.83 करोड़ (86.63 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की कमाई हुई। इस क्षेत्र में छोटे और सीमांत किसानों के लिए अधिक संभावनाएं हैं, जो इसे एक आकर्षक व्यवसाय बना रहा है।
इसी तरह, भारत 2023-24 में 3,43,982.34 मीट्रिक टन ताजे अंगूर का निर्यात कर ₹3,460.70 करोड़ (417.07 मिलियन अमेरिकी डॉलर) कमा चुका है। अंगूर उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 67% है, जहां नासिक के किसानों ने उन्नत तकनीकों जैसे रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम को अपनाकर उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाई है। यह प्रणाली किसानों को फसल की स्थिति की निगरानी करने और निर्यात के लिए उच्च गुणवत्ता वाले अंगूर तैयार करने में मदद करती है।
सरकार ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए “डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन” और “ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM)” जैसी योजनाएं शुरू की हैं। इन पहलों का उद्देश्य किसानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बाजारों से जोड़ना और उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाना है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत किसानों को सीधी आय सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना के तहत देशभर के लाखों किसानों को प्रतिवर्ष वित्तीय मदद मिल रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार आया है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारतीय कृषि क्षेत्र ने स्थिर वृद्धि दर बनाए रखी है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, बाजार अस्थिरता और किसानों की आय असमानता जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। सरकार ने MSP में बढ़ोतरी, सिंचाई में निवेश और डिजिटल कृषि योजनाओं के जरिए इन समस्याओं को हल करने की कोशिश की है।
हालांकि, अभी भी किसानों की आय में वृद्धि और उत्पादन लागत को नियंत्रित करने के लिए अधिक रणनीतिक उपायों की आवश्यकता होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में जलवायु-लचीली खेती और आधुनिक तकनीकों का अधिक उपयोग भारतीय कृषि को और सशक्त बना सकता है।
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