राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

मखाने के दाम ₹1200 प्रति किलो पहुंचे, किसानों के लिए बढ़ा मुनाफ़ा

15 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: मखाने के दाम ₹1200 प्रति किलो पहुंचे, किसानों के लिए बढ़ा मुनाफ़ा – बिहार और आसपास के कुछ राज्यों में प्रमुख रूप से उगाए जाने वाले मखाना (फॉक्स नट) की खेती को इसकी बढ़ती बाजार मांग और हालिया सरकारी नीतियों के कारण नया प्रोत्साहन मिला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा समर्पित मखाना बोर्ड की घोषणा के बाद मखाना की कीमतें ₹1000-1200 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, लेकिन इसकी श्रम-साध्य कटाई प्रक्रिया और मशीनीकरण की कमी के कारण कई किसान अभी भी इसकी खेती को लेकर हिचकिचा रहे हैं।

मखाना की खेती में चुनौतियां

मखाना मुख्य रूप से स्थिर जल निकायों जैसे कि तालाब, दलदली भूमि, और झीलों में उगाया जाता है, जहां जल स्तर 1-1.5 मीटर तक बना रहता है। इसकी खेती के लिए आर्द्र से अर्ध-आर्द्र जलवायु, 20°C से 35°C का तापमान, 50-90% सापेक्षिक आर्द्रता और 100-250 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। हालांकि, किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसकी जटिल और श्रम-गहन कटाई प्रक्रिया है।

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मखाना की खेती में किसानों को पानी में उतरकर बीज इकट्ठा करने होते हैं, जो एक कठिन और समय लेने वाली प्रक्रिया है। असली चुनौती कटाई के बाद शुरू होती है, जब बीजों को सफेद, खाने योग्य मखाने में बदलने के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है। इसमें सुखाने, छंटाई, प्री-हीटिंग, टेम्परिंग और उच्च तापमान पर भूनने की प्रक्रिया शामिल होती है। मशीनीकरण की कमी के कारण यह कृषि की सबसे कठिन प्रक्रियाओं में से एक है।

सरकारी पहल और भविष्य की संभावनाएं

मखाना बोर्ड की स्थापना किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एक संरचित नियामक प्रणाली प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह बोर्ड उचित मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने, प्रसंस्करण में वैज्ञानिक नवाचार लाने, मखाना के निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों को खेती का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने का काम करेगा।

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मखाना के स्वास्थ्य लाभों के प्रति बढ़ती जागरूकता भी इसकी मांग को बढ़ा रही है। प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर मखाना एक पौष्टिक स्नैक के रूप में लोकप्रिय हो रहा है, खासकर शहरी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में। ₹800-900 प्रति किलोग्राम से ₹1000-1200 प्रति किलोग्राम तक की मूल्य वृद्धि इसकी बढ़ती मांग और बेहतर उत्पादन विधियों की आवश्यकता को दर्शाती है।

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बिहार मखाना उत्पादन में अग्रणी है, जहां लगभग 38,000 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती होती है और लगभग 60,000 किसान इससे जुड़े हुए हैं। यह राज्य प्रति हेक्टेयर 12-20 क्विंटल मखाना उत्पन्न करता है, जिससे यह क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि बन गया है। हालांकि, उच्च लाभ की संभावना के बावजूद, श्रम की कमी, लंबी प्रसंस्करण अवधि और अपर्याप्त समर्थन अवसंरचना जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं।

यदि मखाना को एक लाभदायक और व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक कृषि गतिविधि बनाना है, तो अनुसंधान और मशीनीकरण में निवेश आवश्यक होगा। मखाना बोर्ड के माध्यम से सरकार इस दिशा में कदम उठाते हुए किसानों को प्रशिक्षण, अनुसंधान वित्त पोषण, विशेष मखाना प्रसंस्करण क्षेत्र स्थापित करने और बाजार से सीधा जुड़ाव सुनिश्चित करने में मदद करेगी। संगठित नीतियों और तकनीकी नवाचारों के साथ, मखाना की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर बन सकती है, जो इसे पारंपरिक कृषि से एक आधुनिक और उच्च आय वाली कृषि उद्यम में बदल सकती है।

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