अब मौसम की मार से नहीं डरेंगे किसान! सरकार लाई 2661 जलवायु सहनशील किस्में, जैविक खेती को भी बढ़ावा
02 अगस्त 2025, नई दिल्ली: अब मौसम की मार से नहीं डरेंगे किसान! सरकार लाई 2661 जलवायु सहनशील किस्में, जैविक खेती को भी बढ़ावा – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) नामक एक प्रमुख नेटवर्क परियोजना शुरू की है। यह परियोजना फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन सहित कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करती है। साथ ही, कृषि में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास और प्रसार का काम भी करती है।
इस कार्यक्रम के तहत आईसीएआर ने अब तक 2900 किस्में जारी की हैं, जिनमें से 2661 किस्में जैविक और/या अजैविक तनावों के प्रति सहनशील पाई गई हैं। इससे किसानों को बदलते मौसम में टिकाऊ खेती में मदद मिलेगी।
बीज की गुणवत्ता और उपलब्धता पर सरकार का जोर
सरकार, किसानों को बीज की पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बीज एवं रोपण सामग्री (एसएमएसपी) उप-मिशन चला रही है।
वर्ष 2024-25 के लिए इस योजना के तहत 270.90 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 206.86 करोड़ रुपये राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी किए जा चुके हैं। इसमें से 141.46 करोड़ रुपये बीज ग्राम कार्यक्रम के अंतर्गत दिए गए हैं ताकि गांव स्तर पर ही बीज उत्पादन और वितरण सुलभ हो सके।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) से मौसम की चुनौतियों का समाधान
एनएमएसए (राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन) के तहत कृषि को जलवायु अनुकूल बनाने की रणनीतियां अपनाई जा रही हैं। इस मिशन की कुछ प्रमुख योजनाएं:
1. प्रति बूंद अधिक फसल योजना: ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसे सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों के जरिए खेतों में जल उपयोग दक्षता बढ़ाई जा रही है।
2. वर्षा-सिंचित क्षेत्र विकास योजना: यह योजना एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) को बढ़ावा देती है, जिससे उत्पादकता तो बढ़ती ही है, साथ ही जलवायु से जुड़ी जोखिमों को भी कम किया जा सकता है।
3. सॉइल हेल्थ कार्ड योजना (SHC/SHM): इस योजना के जरिए किसानों को उनकी मिट्टी की पोषण स्थिति की जानकारी दी जाती है और उर्वरक उपयोग के सही सुझाव दिए जाते हैं।
4. बागवानी विकास और कृषि वानिकी: एमआईडीएच, कृषि वानिकी और राष्ट्रीय बांस मिशन जैसी योजनाएं भी जलवायु परिवर्तन के प्रति खेती को अधिक अनुकूल बनाने में सहायक हैं।
जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली योजनाएं
सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है।
PKVY योजना: यह योजना देश के सभी राज्यों में लागू है (पूर्वोत्तर को छोड़कर)। इसके तहत किसानों को 3 वर्षों में प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की सहायता दी जाती है। इसमें से 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की राशि किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से दी जाती है ताकि वे ऑन-फार्म या ऑफ-फार्म जैविक इनपुट खरीद सकें।
MOVCDNER योजना: यह योजना केवल पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है। इसके तहत किसानों को 46,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है, जिसमें से 32,500 रुपये जैविक इनपुट के लिए और 15,000 रुपये DBT के तहत किसानों के खातों में भेजे जाते हैं। इसके साथ ही किसान उत्पादक संगठन (FPO) के निर्माण और प्रसंस्करण, प्रमाणीकरण एवं विपणन जैसे चरणों में भी सहायता दी जाती है।
सरकारी जवाब में दी गई जानकारी
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के रूप में दी। इसमें उन्होंने बताया कि सरकार कैसे किसानों को जलवायु संकट से उबारने, टिकाऊ और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए व्यापक योजनाएं लागू कर रही है।
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