नया राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम मंजूर: 2790 करोड़ रुपये का बजट, जानें क्या बदलेगा?
20 मार्च 2025, नई दिल्ली: नया राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम मंजूर: 2790 करोड़ रुपये का बजट, जानें क्या बदलेगा? – केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) को हरी झंडी दे दी। इस केंद्रीय योजना के लिए 15वें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के तहत कुल 2790 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है, जिसमें 1000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल है।
एनपीडीडी का लक्ष्य डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और इसका विस्तार करना है। इसके तहत दूध की खरीद, प्रसंस्करण और गुणवत्ता नियंत्रण पर ध्यान दिया जाएगा। योजना से किसानों को बाजार तक बेहतर पहुंच, आपूर्ति श्रृंखला में सुधार और मूल्य संवर्धन के जरिए ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि ये बदलाव जमीन पर कितने प्रभावी साबित होते हैं।
दो हिस्सों में बंटी योजना
- घटक ए: इसमें दूध शीतक संयंत्र, उन्नत परीक्षण प्रयोगशालाएं और नई ग्राम डेयरी सहकारी समितियों का गठन शामिल है। खास तौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी इलाकों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूध की खरीद और प्रसंस्करण को बेहतर करने पर जोर रहेगा। इसके अलावा, दो नई दूध उत्पादक कंपनियां भी बनाई जाएंगी।
- घटक बी: यह हिस्सा “सहकारिता द्वारा डेयरी संचालन” पर केंद्रित है। जापान सरकार और जाइका के सहयोग से नौ राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत किया जाएगा।
अब तक का असर
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एनपीडीडी से अभी तक 18 लाख 74 हजार से ज्यादा किसानों को फायदा हुआ है। 30,000 से अधिक रोजगार पैदा हुए और रोजाना 100 लाख 95 हजार लीटर दूध खरीदने की क्षमता बढ़ी है। इसके अलावा, 51,777 ग्राम-स्तरीय दूध परीक्षण प्रयोगशालाएं मजबूत की गईं और 5,123 बल्क दुग्ध शीतक स्थापित किए गए। 169 प्रयोगशालाओं में एफटीआईआर मिल्क एनालाइजर और 232 डेयरी संयंत्रों में मिलावट जांच की नई व्यवस्था भी शुरू हुई है।
संशोधित योजना के तहत पूर्वोत्तर में 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियां बनाने का लक्ष्य है। साथ ही, दो दूध उत्पादक कंपनियों के गठन से 3 लाख 20 हजार नए रोजगार के अवसर पैदा होने की बात कही जा रही है। खासकर महिलाओं पर असर पड़ सकता है, जो डेयरी कार्यबल का 70% हिस्सा हैं।
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि, योजना के बड़े-बड़े दावों के बीच यह सवाल बना हुआ है कि ग्रामीण इलाकों में इसका कितना असर पहुंचेगा। बुनियादी ढांचे के विस्तार और तकनीक के इस्तेमाल में स्थानीय स्तर पर जागरूकता और संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
यह कार्यक्रम डेयरी क्षेत्र में दूसरी श्वेत क्रांति की बात करता है, लेकिन इसका असली परिणाम आने वाले सालों में ही सामने आएगा। फिलहाल, यह योजना लाखों किसानों और डेयरी से जुड़े लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: