राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भारत का पोल्ट्री उद्योग: चुनौतियों से निपटने के लिए पटना में रणनीतिक सत्र, जानें क्या हैं उपाय

03 मई 2025, पटना: भारत का पोल्ट्री उद्योग: चुनौतियों से निपटने के लिए पटना में रणनीतिक सत्र, जानें क्या हैं उपाय – भारत के पोल्ट्री उद्योग के सामने बढ़ती लागत और बाजार की अस्थिरता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। कंपाउंड लिवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए) ने यूएस ग्रेन्स काउंसिल और बिहार पोल्ट्री फार्मर्स एसोसिएशन (बीपीएफए) के सहयोग से पटना में एक सेमिनार का आयोजन किया। “पोल्ट्री इन इंडिया: करंट चैलेंजेस एंड द वे फॉरवर्ड” थीम पर आधारित इस सेमिनार में 60 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें फीड निर्माता, पोल्ट्री किसान, पोषण विशेषज्ञ, अनाज आपूर्तिकर्ता और शोधकर्ता शामिल थे।

सेमिनार की शुरुआत और मुख्य बिंदु

सेमिनार का शुभारंभ यूएस ग्रेन्स काउंसिल की मार्केटिंग विशेषज्ञ सुश्री नयंतारा ए. पांडे के स्वागत भाषण से हुआ। इसके बाद सीएलएफएमए के चेयरमैन श्री दिव्या कुमार गुलाटी ने “पोल्ट्री इन इंडिया एंड द पोटेंशियल” विषय पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने चारा लागत में वृद्धि और बाजार की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

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श्री गुलाटी ने कहा, “भारतीय पोल्ट्री उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां समय पर हस्तक्षेप और रणनीतिक सहयोग बढ़ती चारा लागत, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और बाजार अस्थिरता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक हैं। क्रिसिल रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2025-26 वित्तीय वर्ष में उद्योग की लाभप्रदता में 50 आधार अंकों की कमी आने की संभावना है, जो मुख्य रूप से मक्का और सोयाबीन जैसे प्रमुख चारा सामग्रियों की बढ़ती कीमतों के कारण है, जो कुल चारा लागत का 90% हिस्सा हैं। हालांकि, मजबूत मांग और खपत के कारण राजस्व वृद्धि 8-10% रहने का अनुमान है।”

विशेषज्ञों की चर्चा और समाधान

सेमिनार में कई विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। यूएस ग्रेन्स काउंसिल के क्षेत्रीय सलाहकार श्री अमित सच्चदेव ने भारत की चारा स्थिति और इसके वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डाला। काउंसिल के निदेशक श्री रीस एच. कैनाडी ने “यूएस सॉर्गम: ए पोटेंशियल सॉल्यूशन” विषय पर प्रस्तुति दी, जिसमें अनाज आपूर्ति की चुनौतियों के समाधान के रूप में सॉर्गम के उपयोग पर चर्चा की गई।

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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु पोषण विभाग के प्रमुख और उप निदेशक (अनुसंधान) डॉ. पंकज कुमार सिंह ने “लिवस्टॉक और पोल्ट्री फीड में डीडीजीएस के उपयोग में हालिया प्रगति” पर अपने विचार रखे। उन्होंने चारा लागत को कम करने और दक्षता बढ़ाने के लिए डीडीजीएस (डिस्टिलर्स ड्रायड ग्रेन्स विथ सॉल्यूबल्स) के शोध-आधारित उपयोग की वकालत की।

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सेमिनार का एक प्रमुख आकर्षण “नेविगेटिंग द इंडियन पोल्ट्री सेक्टर्स न्यू नॉर्मल” विषय पर पैनल चर्चा थी, जिसे श्री अमित सरावगी (एमडी, अनमोल फीड्स) ने संचालित किया। इसमें श्री दिव्या कुमार गुलाटी, श्री पवन कुमार (अध्यक्ष, बीपीएफए), श्री बी.एम. साहनी (एमडी, पाटलिपुत्र फीड्स) और श्री अमित सच्चदेव जैसे दिग्गज शामिल थे। चर्चा में टिकाऊ चारा विकल्पों, नीतिगत स्पष्टता और दीर्घकालिक आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती पर जोर दिया गया।

यह सेमिनार भारतीय पोल्ट्री उद्योग के सामने मौजूद महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे अस्थिर चारा अनाज बाजार और रणनीतिक साझेदारियों की आवश्यकता, को उजागर करने में सफल रहा। सीएलएफएमए ने उद्योग के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया। इस आयोजन ने किसानों, शैक्षणिक विशेषज्ञों और वैश्विक हितधारकों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया, जिससे एक अधिक टिकाऊ और मजबूत पोल्ट्री इकोसिस्टम का निर्माण हो सकेगा।

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