भारत का 2025–26 के लिए खाद्यान्न उत्पादन लक्ष्य 362.5 मिलियन टन, बीज उपलब्धता अधिशेष
17 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: भारत का 2025–26 के लिए खाद्यान्न उत्पादन लक्ष्य 362.5 मिलियन टन, बीज उपलब्धता अधिशेष – दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2025’ में केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025–26 के लिए 362.50 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। पिछले वर्ष का लक्ष्य 341.55 मिलियन टन था।
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2024–25 में भारत ने रिकॉर्ड 353.96 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन किया। यह पिछले साल की तुलना में 6.5% (21.66 मिलियन टन) अधिक है। यह उपलब्धि तय लक्ष्य से 12.41 मिलियन टन ज्यादा रही। चावल, गेहूँ, मक्का, मूँगफली और सोयाबीन जैसी प्रमुख फसलों में रिकॉर्ड पैदावार हासिल हुई। चौहान ने कहा कि इस वृद्धि से देश में हर नागरिक के लिए खाद्यान्न की उपलब्धता बेहतर होगी और खाद्य सुरक्षा और मजबूत बनेगी।
उन्होंने बताया कि रबी सम्मेलन अब केवल एक दिन नहीं बल्कि दो दिन तक चला, ताकि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विस्तृत रोडमैप तैयार किया जा सके। इस दौरान छह विषयगत समूहों ने जलवायु सहनशीलता, गुणवत्तापूर्ण बीज व उर्वरक, बागवानी, प्राकृतिक खेती, कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के समन्वय जैसे मुद्दों पर चर्चा की। दालों, तिलहनों और एकीकृत खेती प्रणाली की पैदावार बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया।
चौहान ने यह भी कहा कि इस साल फल और सब्जियों का उत्पादन भी बढ़ा है। उन्होंने बाढ़ से प्रभावित राज्यों — पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम और हरियाणा — का जिक्र करते हुए भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार हर संभव मदद कर रही है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को समय पर मुआवजा दिया जाएगा।
बीज की उपलब्धता पर उन्होंने कहा कि रबी बुवाई के लिए 22.9 मिलियन मीट्रिक टन बीज की जरूरत है, जबकि 25 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक बीज पहले से उपलब्ध है। उर्वरक आपूर्ति को लेकर भी उन्होंने आश्वासन दिया कि बारिश और बोआई क्षेत्र बढ़ने से उर्वरक की मांग बढ़ेगी, लेकिन केंद्र व रसायन और उर्वरक मंत्रालय मिलकर पूरी आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि पिछले साल की तरह इस बार भी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ 3 अक्टूबर से शुरू होगा। इसके तहत 2,000 से अधिक टीमें गाँव-गाँव जाएँगी और किसानों को वैज्ञानिक व व्यावहारिक मार्गदर्शन देंगी। इसमें कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभागों के अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों व किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि और प्रगतिशील किसान शामिल होंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत चावल और गेहूँ उत्पादन में तो आत्मनिर्भर है, लेकिन अब दालों और तिलहनों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कपास और सोयाबीन पर पहले ही समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं और रबी फसलों की उपज बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
नकली कृषि आदान (बीज, कीटनाशक और उर्वरक) पर सख्ती की बात करते हुए चौहान ने बताया कि राजस्थान सहित कई राज्यों में हाल ही में छापे मारे गए हैं। आने वाले समय में केंद्र और राज्य मिलकर ऐसे अवैध कारोबारियों पर और कड़ी कार्रवाई करेंगे।
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