रबी अभियान में बड़ा ऐलान: 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 341 मिलियन टन
21 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: रबी अभियान में बड़ा ऐलान: 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 341 मिलियन टन – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन – रबी अभियान 2024 का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन नई दिल्ली के पूसा परिसर में आयोजित किया गया, जहां रबी फसलों के उत्पादन लक्ष्यों और कृषि में नवाचारों पर विस्तृत चर्चा हुई। श्री चौहान ने इस अवसर पर घोषणा की कि वर्ष 2024-25 में भारत का खाद्यान्न उत्पादन लक्ष्य 341.55 मिलियन टन रहेगा। उन्होंने जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि इससे उत्पादन लागत कम होगी और किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा।
जैविक खेती पर बढ़ता जोर
श्री चौहान ने अपने संबोधन में कहा, “हमें रसायनों और उर्वरकों पर निर्भरता कम कर जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि किसानों को भी फायदा होगा। उन्होंने यह भी बताया कि परिवहन लागत कम करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, ताकि खरीद और बिक्री मूल्य के बीच अंतर को कम किया जा सके।
सम्मेलन के दौरान, मंत्री ने राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर कृषि-जलवायु परिस्थितियों के आधार पर उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत सरकार, राज्य सरकारों और मंत्रियों द्वारा दिए गए सभी सुझावों पर सहयोगी रूप से काम करेगी। श्री चौहान ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर खाद्य भंडार के रूप में स्थापित करना हमारा लक्ष्य है।
तेल बीज और दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता
केंद्रीय राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने दालों और तेल बीजों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए किए जा रहे शोध कार्यों पर संतोष जताया। उन्होंने बताया कि 2030 तक तेल बीज उत्पादन को 69.7 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य है, जिससे खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल हो सकेगी। इसके लिए मौजूदा क्षेत्रफल को बढ़ाकर 33 लाख हेक्टेयर करने और प्रति हेक्टेयर उपज को 2112 किलोग्राम तक बढ़ाने की योजना बनाई गई है।
डिजिटल कृषि मिशन और नई तकनीकें
सम्मेलन में डिजिटल कृषि मिशन की भी चर्चा हुई, जिसमें कृषि के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। इसमें राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) और एकीकृत कीटनाशक प्रबंधन प्रणाली (IPMS) का विशेष उल्लेख किया गया। इन डिजिटल पहलों के माध्यम से किसान फसलों पर कीटों और बीमारियों के संक्रमण की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही बीजों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए SATHI पोर्टल की मदद से बीजों के उत्पादन से लेकर वितरण तक की प्रक्रिया को डिजिटलीकृत किया जा रहा है। उर्वरक सचिव श्री रजत कुमार मिश्रा ने नैनो यूरिया और ड्रोन के इस्तेमाल को फसल निगरानी के लिए प्रभावी बताया।
राज्यों को दिए गए निर्देश
कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने राज्यों को निर्देश दिया कि 31 मार्च 2025 तक सभी किसानों का पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए ताकि उन्हें PM-KISAN योजना का लाभ मिल सके। उन्होंने फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, कीटनाशकों के ओवरडोजिंग को रोकने और बाजार में नकली बीजों की समस्या से निपटने पर भी जोर दिया।
सम्मेलन के इंटरएक्टिव सत्र में राज्यों के कृषि मंत्रियों और अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की। इसमें विशेष रूप से तेल बीज और दालों के उत्पादन में यांत्रिकीकरण, बीज की गुणवत्ता में सुधार और निजी क्षेत्र को अनुसंधान में शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया गया।
टेक्नोलॉजी और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा
सम्मेलन में कृषि इनपुट्स की गुणवत्ता और कीटनाशक प्रबंधन पर मंत्रालय की एग्री-टेक पहल की सराहना की गई। नैनो यूरिया और ड्रोन के उपयोग से फसल निगरानी पर जोर दिया गया। जैव-फोर्टिफाइड और जलवायु-प्रतिरोधी बीजों का उपयोग बढ़ाने के लिए भी राज्यों से आग्रह किया गया।
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