रबी में 151 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य : डॉ. मलहोत्रा
- नई दिल्ली से निमिष गंगराड़े
19 अक्टूबर 2020, नई दिल्ली। रबी में 151 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य : डॉ. मलहोत्रा – इस वर्ष कुल 301 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे देखते हुए देश भर में पर्याप्त कृषि आदान की व्यवस्था की गई है तथा समग्र रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है। खरीफ 2020 मौसम बेहतर रहा। इसमें 149.35 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन होने का अनुमान है। इसे देखते हुए रबी 2020-21 में 151.65 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जिसे हासिल करने की पूरी उम्मीद है। इस प्रकार कुल 301 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन होने के आसार बढ़ गए हैं। यह जानकारी भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ. एस.के. मलहोत्रा ने कृषक जगत को दी।
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चना उत्पादन बढ़ाने पर जोर
कृषि आयुक्त ने बताया कि दलहनी एवं तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है जिससे आयात पर निर्भरता कम हो सके। विशेष रूप से चने का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान है इसलिय समर्थन मूल में भी वृद्धि की गई है। इस वर्ष चने के समर्थन मूल्य में 225 रू की वृद्धि कर 5100 रू प्रति क्विंटल किया गया है। जबकि गत वर्ष 4875 रू प्रति क्विंटल चने का मूल्य था। इसी प्रकार इस वर्ष मसूर के समर्थन मूल्य में 300 रू और सरसों के समर्थन मूल्य में 225 रू प्रति क्ंिवटल की वृद्धि की गई है।
उत्पादन लक्ष्य
कृषि आयुक्त ने बताया कि इस वर्ष 301 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन में प्रमुख रूप से 119.60 मिलियन टन धान, 108 मिलियन टन गेहूं, 29 मिलियन टन मक्का, 47.80 मिलियन टन मोटे अनाज, 11 मिलियन टन चना उत्पादन का लक्ष्य शामिल है। उन्होंने बताया कि केवल रबी उत्पादन के लक्ष्य देखें तो इसमें मुख्यत: गेहूं 108 मिलियन टन, धान 17, मक्का 7, मोटे अनाज 11.65 एवं चना उत्पादन का 11 मिलियन टन लक्ष्य शामिल है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष खरीफ में 10.60 एवं रबी में 15 मिलियन टन सहित कुल 25.60 मिलियन टन दलहनी फसलों का तथा खरीफ में 25.55 एवं रबी में 11.45 मिलियन टन सहित कुल 37 मिलियन टन तिलहन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि तिलहनी फसलों में इस वर्ष सबसे अधिक जोर सरसों पर होगा, इसका उत्पादन लक्ष्य 9.36 मिलियन टन रखा गया है। वहीं खरीफ में गन्ना 390 मिलिटन टन एवं कपास 36 मिलियन टन होने का अनुमान है।
बीज की पर्याप्त उपलब्धता
डॉ. मलहोत्रा ने बताया कि देश में रबी सीजन के लिए सभी फसलों के बीजों की पर्याप्त उपलब्धता है। इसमें मुख्य रूप से 152 लाख क्विंटल गेहूं बीज की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही 23.71 लाख क्विंटल चना बीज, 1.27 लाख क्विंटल काला चना बीज, 97 हजार क्विंटल हरा चना बीज, 1.77 लाख क्विंटल मसूर बीज एवं 2.67 लाख क्विंटल सरसों बीज की व्यवस्था की गई है।
उर्वरक खपत
इसी प्रकार रबी 2020-21 के लिए उर्वरकों के सम्बन्ध में कृषि आयुक्त ने बताया कि सीजन में कुल 328 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद की मांग को देखते हुए व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा देकर अनुमान है कि रसायनिक उर्वरक के उपयोग में 20-25 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। इस वर्ष रसायनिक उर्वरकों की खपत में कमी किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गत वर्ष रबी में 330 लाख मीट्रिक टन की मांग के विरुद्ध 316.24 लाख मीट्रिक टन की खपत हुई थी। डॉ. मलहोत्रा ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों ने इस रबी में यूरिया 180.78 लाख मीट्रिक टन, डीएपी 53.53, एमओपी 14.98, काम्पलेक्स 54.24 एवं एसएसपी की 24.99 लाख मीट्रिक टन की मांग रखी है।
100 जिलों को जीआई टैग
देश में किसानों को उपज का बेहतर दाम दिलाने के उद्देश्य से चलाई जा रही ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के सम्बन्ध में कृषि आयुक्त ने बताया कि अब तक 100 जिलों को फसलों के जीआई टैग के लिए चयनित किया गया है। इसे और आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 34 राज्यों के लगभग 507 जिलों में कार्यक्रम चलाया जाएगा। मक्के में फॉल आर्मी वार्म गेहूं में ब्लास्ट एवं कपास में पिंक वॉल वार्म जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से रबी अभियान 2020-21 की शुरुआत की गई है। डॉ. मलहोत्रा ने बताया कि इस वर्ष बारिश अच्छी होने के कारण मौसम की अनुकूलता बनी हुई है, इसे देखते हुए रबी उत्पादन बढ़ाने का देश के किसानों के लिए अच्छा अवसर है।