भारत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को दे रहा है बढ़ावा: प्रधानमंत्री मोदी
03 अगस्त 2024, नई दिल्ली: भारत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को दे रहा है बढ़ावा: प्रधानमंत्री मोदी – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत अतिरिक्त खाद्यान्न उत्पादन करने वाला देश है और वह वैश्विक खाद्य सुरक्षा और वैश्विक पोषण सुरक्षा कार्यों में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार सुधारों के साथ कृषि क्षेत्र को मजबूत कर रही है और इनका उद्देश्य किसानों के जीवन में सुधार लाना है। आज नई दिल्ली में 32वें अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि कृषि, सरकार की आर्थिक नीति का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि भारत मोटे अनाज, दूध, दाल और मसालों का सबसे बडा उत्पादक देश है।
उन्होंने कहा कि 2024-25 के केन्द्रीय बजट में सतत कृषि पर ध्यान दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पिछले दस वर्षों में जलवायु अनुकूल फसलों की एक हजार नौ सौ नई किस्में उपलब्ध कराई हैं। उन्होंने कहा कि देश के कृषि क्षेत्र में डिजीटल प्रौद्योगिकी का उपयोग हो रहा है और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत दस करोड़ किसानों के बैंक खातों में एक क्लिक से पैसे पहुंच जाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश में कृषि अनुसंधान और शिक्षा की मजबूत व्यवस्था का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि देश में कृषि शिक्षा के लिए पांच सौ से अधिक कॉलेज हैं और सात सौ से अधिक कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों को नई प्रौद्योगिकी के बारे में सूचनाएं उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में नौ लाख हेक्टेयर भूमि सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत लाई गई है। प्रधानमंत्री ने भूमि के डिजीटलीकरण के लिए बडे अभियान का भी जिक्र किया। जहां किसानों को अपनी भूमि के लिए डिजीटल पहचान संख्या दी जाएगी। खेती के लिए ड्रोन को बढावा दिया जाएगा जहां ड्रोन दीदियों को ड्रोन चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि इन उपायों से केवल देश के किसानों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: