सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जानें कैसे बदल रही है उनकी जिंदगी
29 जून 2024, नई दिल्ली: सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जानें कैसे बदल रही है उनकी जिंदगी – डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट(DIU) द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि भारतीय सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन का व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 6,615 किसानों के सर्वेक्षण में 40.9% किसानों ने सूखे का सामना किया है, जबकि 32.6% किसानों ने अत्यधिक बारिश के कारण अपनी फसलों का नुकसान झेला है। इसके परिणामस्वरूप फसल उत्पादन में भारी गिरावट आई है, जिससे किसानों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
इस शोध के लिए कुल 6,615 सीमांत किसानों का नमूना लिया गया। इन किसानों को भारत के 20 राज्यों से चुना गया था। सर्वेक्षण टेलीफ़ोन के ज़रिए किया गया और किसानों का चयन उनकी ज़मीन के आकार के आधार पर किया गया। इस प्रकार यह एक उद्देश्यपूर्ण नमूना था जिसमें केवल उन सीमांत किसानों को शामिल किया गया था जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम ज़मीन थी।
हिंदी भाषी राज्यों से 3000 से ज्यादा किसानों को शामिल किया गया। जिनमे छत्तीसगढ़ से 410, मध्य प्रदेश से 417, उत्तर प्रदेश से 646, बिहार से 525, झारखण्ड से 401, हरयाण से 155, पंजाब से 145 और राजस्थान से 392 सीमांत किसानो को शामिल किया गया।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन से प्रभावित 86% किसानों ने अपने व्यवसाय में बदलाव को जलवायु प्रभाव से जोड़ा। इनमें से अधिकांश ने पशुपालन, छोटे व्यवसायों और अन्य गैर-कृषि गतिविधियों की ओर रुख किया है ताकि वे अपनी आय को स्थिर बना सकें ।
सीमांत किसान, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम भूमि होती है, भारत के कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा हिस्सा हैं। कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार, ये किसान भारत के कुल किसानों का 68.5% हैं लेकिन केवल 24% फसल क्षेत्र का ही स्वामित्व रखते हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने इन किसानों की जीवन शैली और आजीविका पर गहरा प्रभाव डाला है। सूखा, अत्यधिक बारिश, और अनिश्चित मौसम की स्थिति ने उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुँचाया है।
अनुमान लगाया गया है कि यदि अनुकूलन उपाय नहीं अपनाए गए तो भारत में 2050 तक बारिश पर निर्भर चावल की पैदावार में 20% और 2080 तक 47% की कमी आ सकती है। इसी तरह, गेहूं की पैदावार में 2050 तक 19.3% और 2080 तक 40% की कमी का अनुमान है ।
भारत सरकार ने कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN), और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना और उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है ।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किसानों को अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए, सरकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर भी जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
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