विश्व बौद्धिक संपदा दिवस पर ICRISAT का उत्सव, BITS पिलानी के साथ नई साझेदारी और तकनीक हस्तांतरण
25 अप्रैल 2025, हैदराबाद, भारत: विश्व बौद्धिक संपदा दिवस पर ICRISAT का उत्सव, BITS पिलानी के साथ नई साझेदारी और तकनीक हस्तांतरण – विश्व बौद्धिक संपदा दिवस (World Intellectual Property Day) के उपलक्ष्य में इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) ने 22 अप्रैल 2025 को अपने हैदराबाद परिसर में “नवाचार का उत्सव, भविष्य को सशक्त बनाना” विषय पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में दो प्रमुख उपलब्धियां रहीं—BITS पिलानी के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर और ICRISAT की सौर जल जलकुंभी हार्वेस्टर तकनीक के लिए Eco-Paryavaran के साथ एक IP लाइसेंसिंग समझौता।
इस आयोजन में विज्ञान, शिक्षा और उद्योग जगत के प्रमुखों ने भाग लिया और नवाचार, सहयोग व तकनीकी हस्तांतरण में बौद्धिक संपदा की भूमिका पर चर्चा की। कार्यक्रम में एक पेटेंट सर्च कार्यशाला भी आयोजित की गई।
BITS पिलानी के साथ रणनीतिक समझौता
BITS पिलानी के साथ हस्ताक्षरित समझौता नवाचार और गहरी तकनीकी उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
BITS पिलानी के कुलपति प्रो. वी. रामगोपाल राव ने कहा, “यह समझौता बहुविषयी नवाचार का मार्ग प्रशस्त करता है। हम कृषि और पर्यावरण से जुड़े अहम मुद्दों को हल करने के लिए इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्टार्टअप्स की हमारी विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहते हैं।”
ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा, “हमारी IP रणनीति केवल नवाचारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उन्हें किसानों तक पहुंचाने के लिए साझेदारियों के निर्माण पर केंद्रित है। जैसा कि संस्कृत में कहा गया है—ज्ञानम् परं ब्रह्मम्। ज्ञान को साझा करने से वह बढ़ता है, और रोकने से घटता है।”
ICRISAT के अनुसंधान व नवाचार के उपमहानिदेशक डॉ. स्टैंडफोर्ड ब्लेड ने कहा कि कानूनी सुरक्षा नवाचार को प्रोत्साहन देती है और दीर्घकालिक निवेश व सहयोग को संभव बनाती है। उन्होंने आगे कहा कि कानूनी संरक्षण नवाचार को प्रोत्साहित करता है तथा दीर्घकालिक निवेश और सहयोग को सक्षम बनाता है।
जलकुंभी हार्वेस्टर का IP लाइसेंसिंग
कार्यक्रम की एक विशेष उपलब्धि ICRISAT द्वारा विकसित सौर जल जलकुंभी हार्वेस्टर का Eco-Paryavaran के साथ IP लाइसेंसिंग समझौता रहा। यह उपकरण आक्रामक जलकुंभी जैसी जलीय खरपतवारों से निपटने के लिए विकसित किया गया है और यह लागत प्रभावी, पुनरुत्पादन योग्य और सौर ऊर्जा से संचालित है।
ICRISAT के वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह ने बताया कि यह तकनीक केवल छह महीनों में विकसित हुई और इसे इंडस्ट्रियल डिज़ाइन ग्रांट भी प्राप्त हुआ। पुरी, ओडिशा के एक पांच एकड़ तालाब में फील्ड ट्रायल के दौरान यह पाया गया कि केवल दो ऑपरेटर एक दिन में एक एकड़ जलकुंभी साफ कर सकते हैं।
Eco Group के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप गर्ग ने कहा, “यह प्रयोगशाला से खेत तक नवाचार का शानदार उदाहरण है, जिसमें हम जलकुंभी जैसी समस्या को एक टिकाऊ और वैश्विक समाधान में बदल रहे हैं।”
बौद्धिक संपदा पर कार्यशाला और संवाद
कार्यक्रम की शुरुआत में ICRISAT के वैश्विक प्रमुख – विधिक सेवा, डॉ. सूर्य मणि त्रिपाठी ने संस्थागत IP संस्कृति को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके बाद “नवाचार की संस्कृति का निर्माण: संस्थागत IP नीति की भूमिका” विषय पर एक विचार-विमर्श हुआ, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी IP नीति ढांचे पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. पी. लक्ष्मी संथि (सहायक उपाध्यक्ष, SCITECH Patent Art) द्वारा एक पेटेंट सर्च कार्यशाला आयोजित की गई। इस वर्कशॉप में शोधकर्ताओं को यह सिखाया गया कि वे पेटेंट डेटाबेस का उपयोग कैसे करें ताकि वे शोध में नवाचार की पहचान कर सकें, समस्या-निर्धारण को सुदृढ़ बना सकें, और वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप अपने प्रकाशन या फाइलिंग की रणनीति बना सकें।
ICRISAT का IP कार्यालय संस्थान में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, जिससे वैज्ञानिकों को तकनीकी नवाचारों की सुरक्षा और उनके प्रभावी उपयोग में सहयोग मिल सके।
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