ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने लॉन्च की चारा फसलों की 07 नई किस्मे, जानिए उनकी खासियतें
18 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने लॉन्च की चारा फसलों की 07 नई किस्मे, जानिए उनकी खासियतें – ICAR- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किसानों के लिए चारा फसलों की 07 नई किस्मे लॉन्च की हैं। इन नई किस्मों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में विकसित किया गया है। इन किस्मों को देश के विभिन्न राज्यों के लिए अनुकूलित किया गया है, इन किस्मों को विशेष रूप से भारत के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, जिससे देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इनमें से चुन सकें। आगामी सीजन में किसानों के लिए चारा फसलों की नई किस्मे विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
चारा फसलों की सात नई किस्मे
‘JPM 18-7 (जवाहर पर्ल मिलेट 18-7)’ चारा मोती बाजरा की नई किस्म एक ओपेन पॉलीनेटेड वैराइटी है, जिसे विशेष रूप से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह वर्षा ऋतु के दौरान सामान्य उर्वरता की स्थिति में वर्षा आधारित/सिंचित के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज क्षमता 440-480 क्विंटल/हेक्टेयर (हरा चारा) है और इसकी मैच्योरिटी 120-130 दिन की है। यह किस्म लीफ ब्लास्ट, टिड्डी, पाइरिला और लीफ डिफोलिएटर के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। इस किस्म को चारा फसलों पर आईसीएआर-एआईसीआरपी, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश द्वारा स्पोंसर किया गया है।
‘जवाहर बरसीम 08-17 (JB 08-17)’ भी बरसीम की एक ओपेन पॉलीनेटेड वैराइटी है, जिसे विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह सर्दियों के मौसम के दौरान सिंचित बहु-कटाई के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज क्षमता 620-650 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (हरा चारा) है और इसकी मैच्योरिटी 190-200 दिन की है। यह किस्म पत्ती धब्बा और झुलसा के प्रति सहनशील है। इस किस्म को चारा फसलों पर आईसीएआर-एआईसीआरपी, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश द्वारा स्पोंसर किया गया है।
तीसरी नई किस्म ‘हिम पालम चारा ओट-1 (पीएलपी-24)’ , जौ(ओट) की यह नई किस्म एक ओपेन पॉलीनेटेड वैराइटी है, जिसे विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए अनुशंसित किया गया है। इसकी खास बात यह है कि यह सामान्य उर्वरता एवं सिंचित स्थिति और समय पर बुआई के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 260-300 क्विंटल/हेक्टेयर (हरा चारा उपज) है और इसकी मैच्योरिटी 180-185 दिन की है। यह किस्म ख़स्ता फफूंदी के लिए प्रतिरोधी है। इस किस्म को चारा फसलों पर आईसीएआर-एआईसीआरपी, सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश द्वारा स्पोंसर किया गया है।
‘जवाहर ओट 13-513 (JO- 13-513)’ जौ(ओट) की यह नई किस्म एक ओपेन पॉलीनेटेड वैराइटी है। इसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, बिहार, झारखंड, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खेती के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के जई उगाने वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 225-250 क्विंटल/हेक्टेयर (हरा चारा उपज) है और इसकी मैच्योरिटी 135-145 दिन की है। यह किस्म पत्ती झुलसा के लिए मध्यम प्रतिरोध है। इस किस्म को चारा फसलों पर आईसीएआर-एआईसीआरपी, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश द्वारा स्पोंसर किया गया है।
चारा मक्का की नई किस्म ‘पूसा चारा मक्का हाइब्रिड-1 (AFH-7)’ भी इस सूची में शामिल है, जिसे विशेष रूप से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान का तराई क्षेत्र के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म को आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा स्पोंसर किया गया है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह सिंचित, खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी हरे चारे की उपज क्षमता 413.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और इसकी मैच्योरिटी 95-105 दिन की है। इस किस्म में उच्च एसिड डिटर्जेंट फाइबर (एडीएफ) – 41.9%, तटस्थ डिटर्जेंट फाइबर (एनडीएफ) – 62.5%, इन-विट्रो शुष्क पदार्थ पाचन क्षमता (आईवीडीएमडी) ) – 56.4% है। यह किस्म मेडीस लीफ ब्लाइट (एमएलबी) के लिए प्रतिरोधी, चिलो पार्टेलस के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।
चारा मक्का की दूसरी नई किस्म ‘HQPM 28’ एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे विशेष रूप से मध्य क्षेत्र (उत्तर प्रदेश (बुंदेलखंड क्षेत्र), महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) के सभी चारा उत्पादक क्षेत्र मध्य क्षेत्र के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म को चारा फसलों पर हाइब्रिड आईसीएआर-एआईसीआरपी, सीसीएसहरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन, करनाल, हरियाणा द्वारा स्पोंसर किया गया है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह ख़रीफ़ सीज़न के लिए उपयुक्त है और इसकी हरे चारे की उपज क्षमता 427.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और 79.06 क्विंटल/हेक्टेयर (शुष्क पदार्थ), 20.9 क्विंटल/हेक्टेयर (बीज उपज), 7.0 क्विंटल/हेक्टेयर (कच्चा प्रोटीन), इसकी मैच्योरिटी 98 दिन की है। इस किस्म में तीन-तरफ़ा गुणवत्ता प्रोटीन मक्का (क्यूपीएम) ) संकर, साइलेज के लिए अच्छा है। यह किस्म मेडीस लीफ ब्लाइट, बीएलएसबी के लिए प्रतिरोधी और फॉल आर्मी वर्म के खिलाफ प्रतिरोध की जांच के बराबर है।
अंत में, ‘CSV 57F (SPV 2801) (UTFS 111)’ चारा ज्वार की एक ओपेन पॉलीनेटेड वैराइटी है। इसे पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों में खेती के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म वर्षा आधारित खरीफ के लिए उपयुक्त है और इसकी हरे चारे की उपज क्षमता 435 क्विंटल/हेक्टेयर है और 139 क्विंटल/हेक्टेयर (सूखा चारा), इसकी मैच्योरिटी 130-135 दिन की है। यह किस्म प्रमुख पत्ती रोग के प्रति सहनशील है और भूरे पत्तों का धब्बा, कालिखदार धारी, एन्थ्रेक्नोज, ज़ोनेट पत्ती का धब्बा, प्ररोह मक्खी के प्रति सहनशील, तना छेदक प्रति प्रतिरोधी है। इस किस्म को चारा फसलों पर आईसीएआर-एआईसीआरपी, जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर हरियाणा द्वारा स्पोंसर किया गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित ये उन्नत किस्में किसानों के लिए आगामी सीजन में एक स्थिर और लाभकारी विकल्प प्रदान करती हैं, जो उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों के साथ अधिक प्रतिस्पर्धी और लाभकारी बनाएंगी।
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