वर्ष 2022 में ‘बोनस फसल’ जायद 80 लाख हेक्टेयर से अधिक में होगी
- (निमिष गंगराड़े)
1 फरवरी 2022, नई दिल्ली । वर्ष 2022 में ‘बोनस फसल’ जायद 80 लाख हेक्टेयर से अधिक में होगी – खरीफ-रबी फसलों की बुवाई-कटाई के बाद फरवरी से मई महीने तक खाली पड़े खेतों में जो फसल लगाई जाती है, उसे जायद कहते हैं। इस मौसम की फसलें तेज धूप और सूखी हवाएं सहन कर सकती हैं। जायद में मक्का, मूंग से मूंगफली तक बोई जाने वाली दहलनी-तिलहनी फसलों के लिए कृषि मंत्रालय ने व्यापक रणनीति तैयार की है। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक देश में लगभग 53 लाख हेक्टेयर में जायद फसलों की बुवाई होगी। इसमें गर्मियों में लगाई जाने वाली धान का क्षेत्र शामिल नहीं है। वर्ष 2017-18 में जायद फसलों का रकबा 29.71 लाख हेक्टेयर था जो वर्ष 20-21 में बढक़र 80.46 लाख हेक्टेयर (धान सहित) हो गया। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस वर्ष मूंग- 18 लाख हेक्टेयर, मूंगफली – 8 लाख हेक्टेयर, मक्का – 9 लाख हेक्टेयर में लगाने का अनुमान है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक देश की विविध भौगोलिक, एग्रो क्लाइमेटिक परिस्थितियों के अनुसार गर्मियों की फसलें अधिक लेना चाहिए। ये किसानों को कम समय, कम लागत में अतिरिक्त आमदनी देने वाली होती है।
जलाशय की स्थिति
कृषि मंत्रालय के इस आशावाद में देश के लबालब भरे जलाशय भी एक सकारात्मक बिंदु है। सेंट्रल वॉटर कमीशन की 20 जनवरी की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 137 जलाशयों में से 119 जलाशय 80 प्रतिशत तक भरे हैं। वर्षा काल के बाद अक्टूबर से जनवरी तक हुई वर्षा से भूमि में पर्याप्त नमी है। मौसम विभाग के मुताबिक देश में केवल जनवरी माह में ही वर्षा सामान्य से 195 प्रतिशत अधिक हुई है।
दलहन-तिलहन को बढ़ावा
सुश्री शुभा ठाकुर, संयुक्त सचिव, कृषि मंत्रालय के अनुसार जायद फसलों में दलहनी एवं तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए टारगेटिंग राइस फालो एरिया (ञ्जक्रस्न्र) प्रोग्राम को 15 राज्यों में केन्द्रित कर गति दी जाएगी। साथ ही एनएफएसएम के तहत गन्ना और अन्य तिलहनी फसलों में अन्तर्वर्तीय खेती पर जोर दिया जाएगा इसके साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना कार्यक्रम में सब्जियों का क्षेत्र भी रहेगा, जिसमें प्रमुख रूप से कद्दूवर्गीय सब्जियां शामिल हैं।
हालांकि ‘जायद’ फसलों की खेती की सीमाएं भी हैं। इस मौसम में कम नमी की आवश्यकता वाली फसलें ही लगाई जा सकती हैं। जहां सिंचाई सुविधाएं हैं, उन क्षेत्रों में ही जायद फसलें हो सकती हैं। गर्मी के मौसम में आवारा पशुओं और जंगली जानवरों से भी फसल को बचाना एक दुष्कर कार्य है। इसके साथ ही फसलों की मौसम अनुकूल किस्मों का अभाव भी जायद में किसानों को जोखिम उठाने से रोकता है।
परन्तु किसानों की आमदनी सही अर्थों में दुगुनी करने की राह में जायद की ये बोनस फसलें बड़े मायने रखती हैं और किसानों की समस्याओं से राहत दिलाने में महती भूमिका निभाती है।
जायद फसलें
प्रमुख रूप से गुजरात- 8.27 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश – 6.18 लाख हेक्टेयर, पं. बंगाल – 6.53 लाख हेक्टेयर, बिहार – 6.08 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश – 5.62 लाख हे. में ली जाएगी। उड़ीसा (4.46 लाख हेक्टेयर) और तमिलनाडु (4.26 लाख हेक्टेयर) में भी जायद फसलें किसानों द्वारा लेने का अनुमान है।
मूंग का रकबा
मध्यप्रदेश में मूंग जायद में ली जाने वाली बोनस फसल है। यह म.प्र. में 5 लाख हेक्टेयर, बिहार – 4 लाख हेक्टेयर, उड़ीसा – 3 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 1 लाख हेक्टेयर में लगाई जाना प्रस्तावित है।
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