किसान का GST पर सवाल: एक बार ट्रैक्टर का भाव बढ़ने के बाद कम होता है क्या?
08 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: किसान का GST पर सवाल: एक बार ट्रैक्टर का भाव बढ़ने के बाद कम होता है क्या? – केंद्र सरकार ने कृषि उपकरणों पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी है। कागज़ पर तो यह सीधी राहत है, लेकिन किसानों के मन में एक सवाल बना हुआ है – “क्या कंपनियां वाकई यह फायदा हमें देंगी? या पहले की तरह कीमतें ऊँची ही रहेंगी?”
किसानों की दुविधा
भारत के किसान अच्छी तरह जानते हैं कि जब किसी चीज़ का भाव बढ़ता है, तो वह शायद ही कभी पूरी तरह घटकर नीचे आता है। चाहे वह खाद हो, डीज़ल हो या ट्रैक्टर – कंपनियां अक्सर लागत या टैक्स बढ़ने पर तुरंत दाम बढ़ा देती हैं। लेकिन जब टैक्स कम होता है, तो कंपनियां वही राहत सीधे किसानों तक पहुँचाएँगी या नहीं – यही बड़ी चिंता है।
तथ्य और गणना
अगर हम केवल जीएसटी दर को देखें, तो किसानों को बड़ा फायदा मिल सकता है। उदाहरण के लिए, 75 एचपी ट्रैक्टर की कीमत पहले 10 लाख रुपये पड़ रही थी, लेकिन अब यह 9.37 लाख रुपये होगी। यानी करीब 63,000 रुपये की बचत।
इसी तरह अन्य ट्रैक्टरों और उपकरणों में भी हजारों से लेकर लाखों तक की राहत दिख रही है।
ट्रैक्टरों की नई कीमतें
क्र.सं | ट्रैक्टर मॉडल | मूल कीमत (₹) | 12% जीएसटी (₹) | कुल कीमत @12% (₹) | 5% जीएसटी (₹) | कुल कीमत @5% (₹) | बचत (₹) |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | 35 एचपी ट्रैक्टर | 5,80,000 | 69,600 | 6,50,000 | 29,000 | 6,09,000 | 41,000 |
2 | 45 एचपी ट्रैक्टर | 6,43,000 | 77,160 | 7,20,000 | 32,150 | 6,75,000 | 45,000 |
3 | 50 एचपी ट्रैक्टर | 7,59,000 | 91,080 | 8,50,000 | 37,950 | 7,97,000 | 53,000 |
4 | 75 एचपी ट्रैक्टर | 8,93,000 | 1,07,160 | 10,00,000 | 44,650 | 9,37,000 | 63,000 |
अन्य कृषि उपकरणों की कीमतें
उपकरण | पुरानी कीमत (₹) | नई कीमत (₹) | बचत (₹) |
---|---|---|---|
पावर टिलर 13 HP | 20,357 | 8,482 | 11,875 |
बहुफसली थ्रेशर – 4 टन | 24,000 | 10,000 | 14,000 |
धान रोपण यंत्र (4 पंक्ति – वॉक बिहाइंड) | 26,400 | 11,000 | 15,400 |
सीड कम फर्टिलाइज़र ड्रिल – 11 टाइन | 18,000 | 7,500 | 10,500 |
पावर वीडर – 7.5 HP | 9,420 | 3,925 | 5,495 |
हार्वेस्टर कंबाइन | 7,500 | 3,125 | 4,375 |
सीड कम फर्टिलाइज़र ड्रिल – 13 टाइन | 5,520 | 2,300 | 3,220 |
स्ट्रॉ रीपर – 5 फीट | 37,500 | 15,625 | 21,875 |
14 फीट कटर बार | 3,21,428 | 1,33,928 | 1,87,500 |
रोटावेटर – 6 फीट | 13,392 | 5,580 | 7,812 |
हैप्पी सीडर – 10 टाइन | 18,214 | 7,589 | 10,625 |
सुपर सीडर – 8 फीट | 28,928 | 12,053 | 16,875 |
मल्चर – 8 फीट | 19,821 | 8,258 | 11,562 |
स्क्वायर बेलर – 6 फीट | 1,60,714 | 66,964 | 93,750 |
ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर – 400 लीटर | 16,071 | 6,696 | 9,375 |
कंपनियों की भूमिका क्यों अहम है?
यहीं पर सबसे बड़ा सवाल आता है – क्या कंपनियां सरकार की इस राहत को किसानों तक पहुँचाएँगी?
- सरकार ने टैक्स घटा दिया है, लेकिन अंतिम कीमत तय करना कंपनियों के हाथ में है।
- कंपनियां अक्सर “इनपुट कॉस्ट” (स्टील, पुर्ज़े, डीज़ल, ट्रांसपोर्ट) बढ़ने का हवाला देकर दाम नहीं घटातीं।
- अगर कंपनियां पारदर्शिता दिखाएँगी, तो किसानों को वास्तविक लाभ मिलेगा।
बाज़ार में दाम
किसानों को लगता है कि बाज़ार में दाम बढ़ना बहुत आसान है, लेकिन कम होना मुश्किल। यही कारण है कि जीएसटी घटने के बावजूद वे शंकित हैं। जब तक कंपनियां खुले तौर पर नए दाम घोषित नहीं करेंगी, तब तक यह अविश्वास बना रहेगा।
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