68 हजार करोड़ का इंपोर्टेड तेल पी जाता है भारत
खाद्य तेल में कब बनेगा आत्मनिर्भर भारत
- निमिष गंगराड़े
18 नवम्बर 2020, नई दिल्ली। 68 हजार करोड़ का इंपोर्टेड तेल पी जाता है भारत – 130 करोड़ से अधिक की आबादी वाला भारत साल भर में केवल 68 हजार करोड़ रुपए का डेढ़ करोड़ टन इंपोर्टेड खाद्य तेल गटक जाता है। देश की कुल वर्तमान खपत 2.5 करोड़ टन है पर घरेलू उत्पादन लगभग 1 करोड़ टन ही है। अपनी मांग की शेष आपूर्ति लगभग 1.5 करोड़ टन के लिए भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, अरजेंटीना आदि देशों से खाद्यान्न तेल आयात करता है। भारत में पाम ऑयल की खपत सबसे अधिक है। सोयाबीन तेल खपत के मामले में हम दूसरे क्रम पर है। पूरे परिदृश्य में दोनों की हिस्सेदारी 65-75 प्रतिशत होती है। भारत द्वारा पाम ऑयल का आयात गत वर्ष 2019-20 में 8.59 मिलियन टन किया गया था जबकि घरेलू उत्पादन केवल 0.28 मिलियन टन ही था। सोयाबीन तेल भी गत वर्ष 3.24 मिलियन टन आयात हुआ था जबकि डोमेस्टिक उत्पादन 1.96 मिलियन टन था।
तेल (2019-20) मिलियन टन | उत्पादन | आयात |
सरसों | 2.7 | 0.05 |
सोयाबीन | 1.95 | 3.24 |
मूंगफली | 2.12 | – |
पाम आइल | 0.28 | 8.59 |
सूर्यमुखी | 0.06 | 2.5 |
कपास बीज | 1.23 | 0.03 |
अन्य | 2.18 | 0.05 |
कुल | 10.53 | 14.46 |
आंकड़ों के आइने में भारत विश्व में खाद्य तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, परन्तु सबसे अधिक खपत और सबसे अधिक आयात करने वाला भी एकमात्र देश है। हालांकि वैश्विक स्तर पर प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की खपत जहां 25 किलो प्रति वर्ष है, वहीं भारत में खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति औसत खपत केवल 15 किलो है।
2030 का आकलन
बढ़ती आबादी, आर्थिक स्तर में उठाव, ऊपर उठती डिस्पोजेबल आय से अन्य सूचकांकों के अलावा भारत की खाद्य तेल की खपत में भी आने वाले दशक में बढ़ौत्री होने वाली है। और यह 3 प्रतिशत सालाना दर के हिसाब से वर्ष 2030 तक 3.4 करोड़ टन हो जाएगी। राबो बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते शहरीकरण, बदलती आहार आदतें, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के बढ़ते उपयोग से खाद्य तेल की खपत में भी बढ़ौत्री होगी। वर्ष 2030 तक कुल आयात का 60 प्रतिशत मलेशिया, इंडोनेशिया से पाम ऑयल के रूप में होगा, वहीं दक्षिण अमेरिका से सोया तेल लगभग 25 प्रतिशत और 15 प्रतिशत अन्य यूरोपीय देशों से होगा।
मिलियन टन
वर्ष | घरेलू उत्पादन | आयात | कुल उपलब्धता/खपत | आयात (मूल्य करोड़ रु.) |
2009-10 | 7.94 | 7.95 | 15.9 | 26,480 |
2019-20 | 10.53 | 14.46 | 25 | 68,558 |
भारत में कृषि जलवायु की विविधता होने से लगभग सभी तिलहनी फसलें लगाई जाती है। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सूर्यमुखी, तिल, कुसुम आदि 9 फसलें बहुतायत में लगाई जाती है, परंतु इन फसलों की औसत उत्पादकता में हम विश्व के अन्य देशों से बहुत पीछे है। रेपसीड सरसों की उत्पादकता भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के मुताबिक 1511 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है परन्तु भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए इसे औसतन 2.4 टन प्रति हेक्टेयर तक ले जाना पड़ेगा।
70 प्रतिशत वर्षा आश्रित खेती, असंतुलित उर्वरक उपयोग, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की अनुपलब्धता आदि कारक ऐसे हैं जो तिलहनी फसलों की उत्पादकता प्रभावित करते हैं। इसी प्रकार अन्य प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्यों में भी क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा। उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गुणवत्ता पूर्ण बीजों का उपयोग, सिंचाई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की समय पर व्यवस्था, सामयिक कीट नियंत्रण और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। भारत में कृषि जलवायु की विविधता होने से लगभग सभी तिलहनी फसलें लगाई जाती है। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सूर्यमुखी, तिल, कुसुम आदि 9 फसलें बहुतायत में लगाई जाती है, परंतु इन फसलों की औसत उत्पादकता में हम विश्व के अन्य देशों से बहुत पीछे है। रेपसीड सरसों की उत्पादकता भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के मुताबिक 1511 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है परन्तु भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए इसे औसतन 2.4 टन प्रति हेक्टेयर तक ले जाना पड़ेगा। 70 प्रतिशत वर्षा आश्रित खेती, असंतुलित उर्वरक उपयोग, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की अनुपलब्धता आदि कारक ऐसे हैं जो तिलहनी फसलों की उत्पादकता प्रभावित करते हैं।इसी प्रकार अन्य प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्यों में भी क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा। उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गुणवत्ता पूर्ण बीजों का उपयोग, सिंचाई माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की समय पर व्यवस्था, सामयिक कीट नियंत्रण और मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्य | क्षेत्र (‘000 हे.) उच्चतम से निम्नतम (2018-19) | उत्पादन (‘000 टन) (2018-19) | उपज (कि.ग्रा./हे. (2018-19) | क्षेत्र (‘000 हे.) (2020-21) | अनुमानित औसत उत्पादकता (क्विं./हे.) (2020-21) | 5 प्रतिशत वृद्धि के साथ अनुमानित उत्पादन (‘000 टन) (2020-21) |
राजस्थान | 2371.9 | 4052.77 | 1709 | 3000 | 1799 | 539.7 |
उत्तरप्रदेश | 753 | 1116.7 | 1483 | 1000 | 1561 | 156.1 |
मध्यप्रदेश | 707 | 1040 | 1471 | 850 | 1548 | 131.58 |
हरियाणा | 609.2 | 1253.73 | 2058 | 896 | 2166 | 194.07 |
पश्चिम बंगाल | 605.9 | 734.35 | 1212 | 650 | 1276 | 82.94 |
असम | 285.74 | 183.73 | 643 | 286 | 677 | 19.36 |
झारखंड | 236.85 | 164.61 | 695 | 348 | 732 | 25.47 |
गुजरात | 195.36 | 348.52 | 1784 | 250 | 1878 | 46.95 |
बिहार | 80.59 | 103.96 | 1290 | 100 | 1358 | 13.58 |
छत्तीसगढ़ | 42.01 | 17.6 | 419 | 150 | 441 | 6.92 |
पंजाब | 30.5 | 46.48 | 1524 | 45 | 1604 | 7.22 |
कुल | 5918.05 | 9062.45 | 1531 | 7575 | 16.15 | 1223.59 |
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