दस दिनों में तीन बार घटे कपास के दाम, किसानों का छलका दर्द
01 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: दस दिनों में तीन बार घटे कपास के दाम, किसानों का छलका दर्द – देश भर के कई हिस्सों में किसानों द्वारा कपास का उत्पादन भी किया जाता है लेकिन बीते दस दिनों में तीन बार कपास के दाम गिर गए है. लिहाजा कपास उत्पादक किसानों का दर्द छलक उठा. बता दें कि कपास पर से इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी गई है और इस कारण किसान पहले से ही परेशान है.
हाल ही में कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने कपास का फ्लोर प्राइस 600 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी में 356 किलो कपास) तक घटा दिया है. कॉटन का फ्लोर प्राइस न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की तरह ही होता है, लेकिन एमएसपी से तकनीकी मायने में यह थोड़ा अलग होता है. कॉटन का फ्लोर प्राइस घटाने का मामला सरकार के उस फैसले के बाद आया है जिसमें इंपोर्ट ड्यूटी को बिल्कुल शून्य यानी खत्म कर दिया गया है.
व्यापारिक सूत्रों ने बताया कि सीसीआई दाम में गिरावट इसलिए कर रहा है ताकि मिलों के लिए कपास के दाम को थोड़ा कम और आकर्षक बनाया जा सके. सीसीआई एक सरकारी संस्था है जो कपास से जुड़े मामलों को देखती है. सूत्रों का कहना है कि सीसीआई आने वाले समय में और भी दाम गिरा सकता है ताकि कपास के स्टॉक को मिलों के लायक सस्ता बनाया जा सके. इसके पीछे सीसीआई और सरकार की ये मंशा है कि मिल मालिक किसानों से डायरेक्ट सस्ते में कपास खरीदें और उन्हें आयातित कपास खरीदने की जरूरत न पड़े. इससे किसानों का कपास तो निकल जाएगा, लेकिन उन्हें नुकसान उठाना होगा क्योंकि वे अधिक दाम की उम्मीद कर रहे हैं. 19 अगस्त को जब केंद्र सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी हटाने का फैसला किया, तब सीसीआई ने कपास के दाम में 600 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट की. उसके अगले दिन 500 रुपये की गिरावट हुई. इस तरह पिछले 10 दिन में कपास के फ्लोर प्राइस में 1700 रुपये तक की गिरावट है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा, “CCI की कीमतें अभी भी मिलों की अपेक्षा से ज्यादा हैं. साथ ही, उनकी क्वालिटी अब बचे हुए स्टॉक से आ रही है क्योंकि अच्छा कपास पहले ही बिक चुका है. इसलिए, CCI को अपनी कीमतों में कम से कम 2,000 प्रति कैंडी की और कमी करनी होगी.” गुरुवार को, CCI मिलों को केवल 6,000 गांठें (170 किलो की) ही बेच पाई, और 2,600 गांठें व्यापारियों को बेची गईं.
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